जब भी हम किसी गरीब व्यक्ति को कामयाबी की ऊंचाइयाँ छूते हुए देखते हैं, तो यही कहते हैं कि इसकी किस्मत पलट गयी है। लेकिन कोई उसके संघर्ष और मेहनत के बारे में बात नहीं करता। दिन फिरते वक्त नहीं लगता, ऐसा ही हुआ सविताबेन देवजी परमार के साथ। कभी वह कोयला फैक्ट्रियों से जला हुआ कोयला बीनकर उसे ठेले पर लादकर घर-घर जाकर बेचती थीं और आज कईं लग्जरी कारों और 10 बेडरूम वाले बंगले की वह मालकिन हैं।
उनके पति बस कंडक्टर थे। लेकिन समय बदलने में वक़्त नहीं लगता। मेहनत करते रहो तो सबकुछ हासिल हो जाता है। अनपढ़ महिला होने के बावजूद सविताबेन ने अपने दृढ़ निश्चय, मजबूत हौसले और मेहनत से जो मुकाम हासिल किया, वह सभी के लिए प्रेरणादायक है।
सिर्फ़ भाग्य के साथ देने से व्यक्ति के दिन नहीं बदलते बल्कि दिन रात एक कर के जो लोग अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए मेहनत करते हैं, उन्हीं की क़िस्मत बदलती है। खुद पर भरोसा रख सबकुछ आप पा सकते हैं। गुजरात में कोयलावाली के नाम से मशहूर सविताबेन देवजी परमार अहमदाबाद की रहने वाली हैं। उनके घर की माली हालत बहुत खराब थी। उनके पति देवजीभाई अहमदाबाद म्युनिसिपल टांसपोर्ट सर्विस में कंडक्टर की नौकरी किया करते थे।
ऐसे बहुत से व्यक्तियों की प्रेरणादायक कहानियाँ रोजाना पढ़ने और सुनने को मिलती रहती हैं, जिन्होंने कड़े संघर्षों का सामना करके भी सफलता प्राप्त की और सारी दुनिया को एक सबक दिया। देवजीभाई के कंधों पर अपने माता-पिता, पत्नी और छह बच्चों से भरपूर गृहस्थी चलाने का भार था। उनके पास केवल 20 रुपये ही बचते थे, जिससे उन्हें बच्चों और घर का खर्च उठाना पड़ता था। वे खुद केवल तीसरी कक्षा तक पढ़ीं थी, इसीलिए उन्हें कोई काम मिल पाना मुश्किल था। लेकिन घर की आर्थिक हालत को देखते हुए सविताबेन ने एक दिन स्वयं निश्चय किया कि वह भी काम करेंगी।
घर की आर्थिक स्थिति जब ख़राब होती है तो खुद काम करने का मन जागता है। नौकरी के लिए सविताबेन ने बड़े हाथ पैर मारे, लेकिन कहीं बात नहीं बनी। इसके पीछे सबसे बड़ी मुश्किल यही थी कि उन्हें पढ़ना-लिखना बिलकुल नहीं आता था। इस कारण कोई भी उन्हें काम पर नहीं रख रहा था। पर सविताबेन कहां हिम्मत हारने वाली थीं। आज उनके पास करोड़ों की गाड़ियां और संपत्ति है।