कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते निम्न वर्ग से लेकर मध्वर्गीय तबके तक के लोग अपने रोजगार से दूर हो चुके थे और अब धीरे-धीरे फिर से अपने सामान्य जीवन में अपने रोजगार की तरफ लौटने का प्रयास कर रहे हैं।
ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा छात्रों पर फीस और एडमिशन के खर्चे का दबाव बनाए जाने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे अधिकतर पैरंट्स अपने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं जिसके लिए हरियाणा सरकार भी छात्रों के परिजनों के हित में फैसले ले रही है।
सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि निजी स्कूल छात्रों द्वारा सरकारी स्कूल में दाखिला लेने की प्रक्रिया के बीच में बाधा उत्पन्न ना करें क्योंकि 2009 के शिक्षा के अधिकार के अनुसार किसी भी छात्रों को उसकी इच्छा अनुसार स्कूल का चयन करने का अधिकार है।
इसी के चलते हरियाणा में अब बिना स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) के भी छात्र सरकारी स्कूल में दाखिला ले सकते हैं। हरियाणा सरकार के शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी स्कूलों को यह आदेश जारी किया है। दरअसल यह आदेश निजी स्कूलों द्वारा एसएलसी देनें में आनाकानी करने पर दिया गया है।
इस संबंध में निदेशालय ने निर्णय लिया है कि जो छात्र अपनी मर्जी से सरकारी स्कूलों में दाखिला लेना चाहते है उनको तत्काल दाखिला दिया जाए। सरकारी स्कूल की ओर से उस विद्यार्थी के पिछले स्कूल में दाखिले की लिखित सूचना और 15 दिन के अंदर अॉनलाइन एसएलसी जारी करने का आग्रह किया जाए। अगर 15 दिन में एसएलसी नहीं मिलता है तो उसे खुद ही जारी हुआ मान लिया जाए।
निदेशालय द्वारा कड़े शब्दों में कहा गया है कि कोरोना संकट के दौरान किसी भी विद्यार्थी की औपचारिक शिक्षा किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक विद्यार्थी अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर सकता है।