4500 साल पहले विदेशी अधपके मांस खाते, तब भारतीय पौष्टिक लड्डू खाते थे, यहां खुदाई में मिले

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    दुनिया में सबसे प्राचीन भारतीय सभ्यता है। भारत का इतिहास काफी पुराना है। लगभग 4,000 साल पहले हड़प्पा सभ्यता के दौरान रहने वाले लोग उच्च प्रोटीन, मल्टीग्रेन ‘लड्डू’ का सेवन करते थे। इस रिसर्च को बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पलायोसाइंसेस, लखनऊ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली ने साथ मिलकर किया था।

    खुदाई में अक्सर अलग-अलग चीजें मिलती है। कई बार ऐसी चीजें मिलती हैं, जिनपर यकीन तक करना मुश्किल हो जाता है। इस रिसर्च को कुछ समय पहले ‘जर्नल ऑफ आयोलॉजिकल साइंस रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित रिया गया था। 2014 से 2017 के बीच पश्चिमी राजस्थान के बिंजोर में हड़प्पा पुरातात्विक स्थल की खुदाई के दौरान सात प्रकार के लड्डुओं का पता चला था।

    4500 साल पहले विदेशी अधपके मांस खाते, तब भारतीय पौष्टिक लड्डू खाते थे, यहां खुदाई में मिले

    हो सकता है इसके बारे मे एक पल के लिए आप भी हैरान हो जाएं। बीएसआईपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेश अग्निहोत्री ने कहा, “सात समान बड़े आकार के भूरे रंग के ‘लड्डू’, बैल की दो मूर्तियां और एक हाथ से पकड़े गए तांबे के अज राजस्थान के अनूपगढ़ जिले में हड़प्पा स्थल पर एएसआई को खुदाई के दौरान प्राप्त हुए थे।

    4500 साल पहले विदेशी अधपके मांस खाते, तब भारतीय पौष्टिक लड्डू खाते थे, यहां खुदाई में मिले

    शोधकर्ताओं को राजस्थान में अजीबोगरीब लड्डू मिले थे। अब उस लड्डू को लेकर काफी चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। 2600 ईसा पूर्व के आसपास के इन लड्डुओं को अच्छी तरह से संरक्षित पाया गया था, क्योंकि एक कठिन संरचना इसपर इस तरह से गिर गई थी कि यह उन पर छत के रूप में कार्य करता था और उन्हें टूटने से रोकता था। ये कीचड़ के संपर्क में थे, इसलिए कुछ आंतरिक कार्बनिक पदार्थ और अन्य हरे रंग के घटक की वजह से यह संरक्षित रहे।

    4500 साल पहले विदेशी अधपके मांस खाते, तब भारतीय पौष्टिक लड्डू खाते थे, यहां खुदाई में मिले

    2017 में राजस्थान के अनूपगढ़ में खुदाई के दौरान तकरीबन सात ‘लड्डू’ मिले थे। पिछले चार सालों से इन पर रिसर्च चल रहा था। ये लड्डू जब पानी के संपर्क में आते हैं तो इसका रंग बैगनी हो जाता है।