प्रधानमंत्री का बड़ा ऐलान, सरकार ने वापस लिए तीनों कृषि कानून :- देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे किसानों को घर वापस लौटने की भी अपील की। आपको बता दें कि इन तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए लंबे समय से कुछ किसान संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कानून वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि हम किसानों के हित में यह तीनों कानून लेकर आए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि शायद हम कुछ किसानों को इसके बारे में समझाने में असफल रहे।
प्रधानमंभी नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस महीने के अंत से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान तीनों कानूनों को सदन के जरिए वापस ले लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन की बड़ी बातें:
आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए ।
एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे।
इस महीने के अंत में शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान इसे संसद के जरिए वापस ले लिया जाएगा।
आज गुरुनानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। आज मैं आपकों यह बताने आया हूं हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। मैं आंदोलन कर रहे किसानों से घर वापस लौटने की अपील करता हूं।
Today is the Parkash Purab of Sri Guru Nanak Dev Ji. Today PM will inaugurate key schemes relating to irrigation in Mahoba, Uttar Pradesh. Then, he will go to Jhansi for the ‘Rashtra Raksha Samparpan Parv.’ Before all of these programmes, he will address the nation at 9 AM: PMO pic.twitter.com/95Qdf1D22Y
— ANI (@ANI) November 19, 2021
हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।
हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।
किसानों की स्थिति सुधारने के लिए ही तीन कृषि कानून लाए गए थे। उन्हें अपनी ऊपज की सही कीमत मिले, इसके लिए हमने ऐसा किया। वर्षों से यह मांग की जा रही थी। पहले भी कई सरकारों ने इसपर मंथन किया था। इसबार भी चर्चा हुई और मंथन हुआ। देश के कोने-कोने में कई किसान संगठनों ने इसका समर्थन किया।
हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। किसानों के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है।
छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने कई पहल किए हैं। हमने क्रॉप लोन भी दोगुना कर दिया।
आज केंद्र सरकार का कृषि बजट पहले के मुकाबले पांच गुना बढ़ गया है। हर साल सवा लाख करोड़ से अधिक कृषि पर खर्च किए जा रहे हैं।
हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना को प्रभावी बनाया। इसके तहत अधिक से अधिक किसानों को फायदा मिल रहा है। हमने पुराने नियम बने। बीते चार लाख एक लाख करोड़ से अधिक का मुआवजा किसानों को मिला है।
देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए बीज, बीमा, बाजार और बचत पर हमारी सरकार ने चौतरफा काम किया है।
देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इन छोटे किसानों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। यही छोटी सी जमीन उनकी जिंदगी का आधार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि डेढ़ साल के अंतर के बाद करतारपुर कॉरिडोर खुलना काफी सुखद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। आपको बता दें कि आज गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व भी है।
पिछले साल संसद से पास हुए थे तीनों कृषि कानून
गौरतलब है कि तीनों नए कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद से पास कराया गया था. इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से विरोध कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही थी. किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी.
जबकि, सरकार का तर्क था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी. सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई. किसान दिल्ली की सीमाओं के आसपास आंदोलन पर बैठकर इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. इस खबर के लिखे जाने तक किसान संगठनों की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है