सीवर लाइनों में बहते गोबर से अब मिलेगी राहत, गोबर से बनाई जाएंगी लकड़ी और खाद

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गोबर से लकड़ी बनाने की नई पहल की गई है। जिस गोबर को अब तक बड़ी – बड़ी डेरियों से नालियों और सीवरों में बहा दिया जाता था। अब उसी गोबर से लकड़ियां बनाई जाएंगी जिनका इस्तेमाल देहसंस्कार के लिए किया जाएगा। दिये और खाद बनाने के लिए भी गोबर का प्रयोग किया जाएगा

सीवर लाइनों में बहते गोबर से अब मिलेगी राहत, गोबर से बनाई जाएंगी लकड़ी और खाद

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही डेयरियों से रोजाना 125 से 150 टन गोबर निकलता है। बहुत से लोग गोबर से उपले बनाते हैं। ऐसे भी कई लोग हैं, जो गोबर को नालियों या सीवर लाइनों में बहा देते हैं।

सीवर लाइनों में बहते गोबर से अब मिलेगी राहत, गोबर से बनाई जाएंगी लकड़ी और खाद

कई क्षेत्रों में सड़क किनारे गोबर फैला नजर आता है तथा उपले नजर आते हैं। नगर निगम सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इस स्थिति में सुधार करने में जुट गया है।

सीवर लाइनों में बहते गोबर से अब मिलेगी राहत, गोबर से बनाई जाएंगी लकड़ी और खाद

अलग-अलग चरणों में हम शहर में काम करेंगे। सबसे पहले डेयरियों की संख्या जानने के लिए सर्वे होगा। इसके बाद डेयरी से गोबर एकत्र करने का काम शुरू किया जाना है।।

सीवर लाइनों में बहते गोबर से अब मिलेगी राहत, गोबर से बनाई जाएंगी लकड़ी और खाद

हम स्वच्छता की स्थिति को बेहतर करने में लगे हैं। कई संस्थाएं इसके लिए आगे आ रही हैं। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में शहर में जगह-जगह गोबर फैला हुआ नजर नहीं आएगा और न ही गोबर नालियों में बहेगा।