अभी हाल ही में देखने को मिला कि बॉलीवुड में अपनी प्रतिभा और दमदार किरदारों के बल पर पहचान बनाने वाले और करोड़ों लोगों का दिल जीतने वाले 34 वर्षीय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
अभी तक सुशांत सिंह राजपूत द्वारा उठाए गए इस कदम के पीछे के कारणों का स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है। लेकिन बॉलीवुड इंडस्ट्री द्वारा सुशांत सिंह राजपूत को दरकिनार किए जाने के कारण सुशांत सिंह राजपूत द्वारा इस प्रकार का कदम उठाने की बात कही जा रही है। लेकिन अभी कुछ भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
सुशांत सिंह से जुड़ी कुछ ऐसी यादें हैं जो उनके परिजन लगातार सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं और सुशांत सिंह के इस दुनिया से चले जाने का शोक व्यक्त कर रहे हैं। बता दें कि सुशांत कि एक बहन राज्य स्तर पर क्रिकेट कि खिलाड़ी रह चुकी है और उनके एक जीजा हरियाणा पुलिस में एडीजीपी के पद पर कार्यरत है।
सुशांत सिंह राजपूत के जीजा जो हरियाणा पुलिस में एक उच्च पद पर कार्यरत है उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की एक पुरानी वीडियो शेयर की जिसमे सुशांत सिंह हरियाणा पुलिस जिंदाबाद बोलते हुए नजर आ रहे है।
वही उनके पुत्र अर्थात सुशांत के भांजे विश्वस्थ सिंह राजपूत ने सुशांत सिंह राजपूत के चले जाने पर शोक व्यक्त करते हुए सुशांत की याद में कुछ पन्नों की एक पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक उन्होंने “Good Bye Our Gulshan And world Sushant Singh Rajput” दिया है।
“कविता”
धार्मिक वृति की एक सरल महिला थी। अपना घर-परिवार कुशलता से सम्भालती। अपने आराध्य की नियमित उपासना करती।
प्रेम से अभिभूत एक दिन आराध्य आ पहुँचे। पूछा, ‘कोई इच्छा?’
महिला बोली, ‘एक बेटा’।
आराध्य मुस्कुराए, ‘तुम्हारे भाग्य में नहीं’।
महिला ज़िद पर अड़ गई। बोली, ‘फिर तुम चलो’।
प्रेम से बंधे आराध्य क्या करते? आना पड़ा। दोनों साथ-साथ खूब खेले। देखते-देखते सत्रह साल बीत गए।
फिर एक दिन महिला का इस संसार से जाने का समय आ गया। आराध्य ने पूछा, ‘मैं क्या करूँ’? महिला बोली, ‘जब आ ही गए हो तो थोड़ी अपनी बनाई दुनियाँ भी देखते जाओ’। प्रेम फिर आड़े आ गया। आराध्य ने पूछा, ‘कितनी देर?’। महिला बोली, ‘जितनी मेरे साथ’।
अगले सत्रह साल आराध्य ने धरती-आसमान एक कर दिया। जिधर जाते, सहज प्रेम की धारा फूट पड़ती। संसारी वृति वाले ईर्ष्या करते। आराध्य बस मुस्कुराते। समय-समय प्रकृति के रहस्य खोजने वालों से पूछते कि कहाँ तक पहुँचे?
सामान के नाम पर एक दूरबीन साथ लिए फिरते। जब-तब दूर अंतरिक्ष में अपने ठिकाने को निहारते। अब परलोक जा बैठी महिला से यदा-कदा चुहल भी करते, ‘खुद तो चली गई, मुझे इधर उलझा गई’।
देखते-देखते सत्रह साल और बीत गए। एक दिन आया जब आराध्य महिला को दिए अपने वचन से मुक्त हुए।
अब दोनों परलोक में हैं।
हर्ष-विषाद, निंदा-स्तुति से दूर।
सुख-दुःख, मोह-माया से परे।”
इस चंद पन्नों कि छोटी सी पुस्तक में उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत के जीवन को कविता के माध्यम से व्यक्त करते हुए बताया कि कैसे सुशांत को उनकी मां से बेहद प्रेम था और 17 वर्ष की आयु में उनकी मां का उनसे अलग हो जाने के बाद जीवन बदल सा गया था। उसके बाद किस प्रकार सुशांत सिंह राजपूत ने 17 साल और इस व्यवाहरिक जीवन यापन किया और फिर वापिस अपनी मां के पास चले गए।
यह कविता काफी भावुक कर देने वाली है जिसे सुनकर कोई भी व्यक्ति भावुक हो सकता है। सुशांत सिंह राजपूत का इस प्रकार से आत्महत्या करना उनके परिजनों को अभी तक शोक में डुबोए हुए है। आशा करते है भगवान उनके परिजनों को इस दुख की घड़ी से लड़ने कि क्षमता दे।
लोक सभा निर्वाचन अधिकारी विक्रम सिंह ने कहा कि सही प्रशिक्षण लेने के उपरांत कार्य…
मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…
एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…
श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…
आज दिनांक 26 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने बहादुरगढ में दिन…
खट्टर सरकार ने आज राज्य के लिए आम बजट पेश किया इस दौरान सीएम मनोहर…