एक ऐसा गांव जहां बहती है देसी घी की नदी, हर कोई खाना में करता है पसंद

    0
    916

    देसी घी को काफी ताकतवर कहा गया है। घी में काफी ताकत होती है। आपने अक्सर बुजुर्गों के मुंह से यह सुना होगा की हिंदुस्तान में बहुत साल पहले दूध दही की नदियां बहती थी। इस टेक्नोलॉजी वाली भरी दुनिया में हमें अभी तक पता नहीं चला की यह बात सच है कि नहीं। गुजरात के गांव रूपल मे हर साल नवरात्रि पर वरदायिनी माता का पल्ली उत्सव मनाया जाता है।

    यह उत्सव दुनियाभर में मशहूर है। इसका नाम भी काफी अलग सा है। पल्ली उत्सव मनाने के लिए बहुत सी संख्या में भक्त ,इस गांव में पहुंचते हैं, और वरदायिनी माता पर घी चढ़ाते हैं, वहां इतना घी चढ़ता है कि, ऐसा लगता है जैसे घी की नदी बहने लगी हो।

    एक ऐसा गांव जहां बहती है देसी घी की नदी, हर कोई खाना में करता है पसंद

    हर साल यहां 25 लाख भक्त यहां आते हैं । जो करीब 8 लाख लीटर घी वरदायिनी माता को चढ़ाते हैं। जब 8 लाख लीटर घी माता को बीच चौराहे पर चढ़ाया जाता है। तो उस नजारे को देखकर लगता है, जैसे घी की नदी बह रही हो। कुछ लोग इसे बाल्टी में भरकर माता के प्रसाद के रूप में लोगों में बांटते हैं। आपने कई खबरें ऐसी सुनी होगी जिसमें को अमीर भक्त किसी मंदिर में बहुत कीमती सामान, सोना-चांदी या करोड़ों रुपए दान में दे देता है।

    jagran

    एक मंदिर ऐसा है जहां पर भक्त और भगवान पर घी की नदियां बहती है। रदायिनी देवी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. कहा जाता है यहां घी की नदियां बहती है यानि भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार यहां घी से मंदिर को धोते हैं, जिससे पूरे मंदिर परिसर में घी की नदी का अनुभव होता है। खासकर नवरात्रि की नवमी को यहां लकड़ी से बनी एक रथ को पूरे गांव में घुमाया जाता है।

    इस मंदिर में बहती है घी की नदी, करोड़ों रुपए होती है कीमत

    इस रथ पर बने सांचे में पांच स्थानों पर अखंड ज्योति जलाई जाती है। इस रथ को देखने के लिए इतनी भीड़ होती है कि गांव से मुख्य मंदिर तक पहुंचने में रथ को करीब 10 घंटे लग जाते हैं।