लॉकडाउन के कारण हरियाणा में पर्यावरण को मिली प्राणवायु

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विकास की अंधी दौड़ में धरती के पर्यावरण का हमने जो हाल किया है, वह बीते करीब चार दशक से चिंता का विषय तो बना लेकिन विकसित देश अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाए विकासशील देशों पर हावी होने के लिए इसे इस्तेमाल करते रहे और विकासशील देश भी विकसित देशों के रास्ते पर चलकर पर्यावरण नष्ट करने के अभियान में शामिल हो गए।

पृथ्वी सम्मेलन के 28 साल बाद भी हालात जस के तस ही थे, लेकिन कोरोना महामारी से भयाक्रांत समूचे विश्व में लॉक डाउन ने पर्यावरण को स्वस्थ होने का अवकाश दे दिया है। हवा का जहर क्षीण हो गया है और नदियों का जल निर्मल।

लॉकडाउन के कारण हरियाणा में पर्यावरण को मिली प्राणवायु

भारत में जिस गंगा को साफ करने के अभियान 45 साल से चल रहे थे और बीते पांच साल में ही करीब 20 हजार करोड़ रूपए खर्च करने पर भी मामूली सफलता दिख रही थी, उस गंगा को तीन हफ्ते के लाक डाउन ने निर्मल बना दिया।

गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं योगी की विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान अभियंत्रिकी यह विभाग के पूर्व अध्यक्षता एवं वर्तमान में अनुसंधान अध्यक्षता के नेतृत्व में के विभाग के रिसर्च स्कॉलर पुष्पा विश्नोई व साहिल मोर द्वारा किए गए

लॉकडाउन के कारण हरियाणा में पर्यावरण को मिली प्राणवायु

तुलनात्मक अध्ययन महुआ प्रदेश के शहरों के 24 मार्च से 22 मई तक के वर्ष 2020 के पर्यावरण इस अवधि के दौरान के वर्ष 2019 के पर्यावरण की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन किया इस अध्ययन में मुख्य रूप से आई एम 25 पीएम10 के स्तर की तुलना की गई 1 माइक्रोमीटर का 10 भाग होता है 150 तक हो तो सबसे अच्छा माना जाता है

संतोषजनक 101 से 200 औसत वही 201 से 300 खराब माना जाता है इस अध्ययन में यह सामने आया कि एयर क्वालिटी इंडेक्स के प्रदेश के विभिन्न शहरों में 23 से 69 प्रतिशत की गिरावट आई है फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, पानीपत व सोनीपत को छोड़कर बाकी सभी जिलों में संतोषजनक स्थिति में रहा।

लॉकडाउन के कारण हरियाणा में पर्यावरण को मिली प्राणवायु

हालांकि पानीपत में यह पहले से 3 प्रतिशत बढ़ गया। वहीं, प्रदेश के बल्लभगढ़ में एक्यूआई सबसे खराब स्थिति में था और लॉकडाउन के दौरान यहीं पर सबसे ज्यादा गिरावट आई। पंचकूला में पहले से ही संतोषजनक था और लॉकडाउन के दौरान 50 से भी कम सबसे अच्छा स्तर हो गया।


पीएम 10 की बात करें तो इसका स्तर 50 तक हो तो सबसे अच्छा माना जाता है, जबकि 51 से 100 संतोषजनक व 101 से 250 औसत वहीं 251 से 350 खराब स्थिति में माना जाता है। लॉकडाउन से पहले पीएम-10 का स्तर बल्लभगढ़ में सबसे ज्यादा 302 था और फतेहाबाद और मानेसर में 200 से ज्यादा था और बाकी शहरों में 200 से कम था।

लॉकडाउन के दौरान यह इसमें 14 से 73 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई और किसी भी शहर में 200 तक नहीं पहुंचा। सबसे ज्यादा पानीपत में 165.7 तक रहा था।
पंचकूला, अम्बाला, कुरुक्षेत्र की स्थिति रही अच्छी
पीएम 2.5 की बात करें तो इसका स्तर 30 तक हो तो सबसे अच्छा माना जाता है जबकि 31 से 60 संतोषजनक व 61 से 90 औसत वहीं 91 से 120 खराब स्थिति में माना जाता है। लॉकडाउन के दौरान विभिन्न शहरों में इस स्तर में 10 से 67 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई।

लॉकडाउन के दौरान यह अम्बाला, भिवानी, नारनौल, पंचकूला में 30 से भी नीचे रहा और किसी भी शहर में 60 से ऊपर नहीं गया। लॉकडाउन से पहले 30 से कम किसी भी शहर में नहीं था जबकि मात्र अम्बाला, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, पानीपत में 60 से कम था और बल्लभगढ़, गुरुग्राम, करनाल, मानेसर, पलवल में यह 90 से ज्यादा