केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अब किसान आंदोलन का कोई मतलब नहीं बनता है। किसान बड़े मन का परिचय दें। प्रधानमंत्री की घोषणा का आदर करें और अपने-अपने घर लोटे।
भारत सरकार ने किसानों की एक और अहम मांग मान ली है।केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों ने किसानों द्वारा पराली जलाने को अपराध से मुक्त करने की मांग की थी। भारत सरकार ने भी इस मांग को स्वीकार कर लिया है। पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का फैसला केंद्र ने संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से दो दिन पहले किया है।
इससे पहले तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फसल विविधीकरण, शून्य-बजट खेती, और एमएसपी प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की है।इस कमेटी में किसान संगठनों के प्रतिनिधि होंगे।उन्होंने कहा कि इस समिति के गठन से एमएसपी पर किसानों की मांग पूरी हुई।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दस दिसंबर 2015 को फसल अवशेषों पर जलाने का रोक लगा दी था। पराली जलाने पर कानूनी तौर पर कार्रवाई भी की जाती थी। पराली जलाते पकड़े जाने पर दो एकड़ जगह तक 2,500 रुपये, दो से पांच एकड़ जगह तक 5,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की समस्याओं के निवारण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कमेटी के गठन से किसानों की एमएसपी संबंधित मांग भी पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि एमएसपी में पारदर्शिता, जीरो बजट खेती और फसल विविधीकरण लाने के लिए एक समिति का गठन करने की घोषणा की है इस समिति में किसान प्रतिनिधि होंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लिए जाने और उन्हें मुआवजा दिए जाने का अधिकार राज्य सरकारों का है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकारें मुकदमे की गंभीरता को देखते हुए अपने-अपने राज्य की नीति के अनुसार निर्णय ले सकती हैं।