चीन ने अमेरिका के साथ शीत युद्ध की घोषणा कर दी, पढ़ें वेंकटेश भार्गव की रिपोर्ट

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पिछले कुछ समय से क्यों चीन आक्रामक बना हुआ है?

एक साथ कई मोर्चे पर घिरे होने के चलते China अपने देश के नागरिकों के साथ साथ दुनिया का भी ध्यान भटकाना चाहता है। आइए, उन वजहों पर एक नज़र डालते हैं: ??????

1) चीन की वैश्विक महासत्ता बनने की चाहत और उसकी विस्तारवादी नीति

● पिछले कुछ वर्षो से विश्व की एकमात्र महासत्ता अमेरिका आर्थिक रूप से कमजोर होता जा रहा है। इसी वजह से सीरिया,अफ़ग़ानिस्तान,जर्मनी से वो अपनी सेनाएं वापिस बुला रहा है। अमेरिका के कमजोर होने के कारण चीन उसका स्थान लेने के लिए आतुर बन रहा है।

चीन ने अमेरिका के साथ शीत युद्ध की घोषणा कर दी, पढ़ें वेंकटेश भार्गव की रिपोर्ट

● China विश्व पर अपना Domination स्थापित करना चाहता है। इसी वजह से वो अपने पड़ोसियों के साथ सीमाओं पर उलझ रहा है। चीन का मानना है कि अमेरिका के साथ TRADE WAR करके चीन अमेरिका को आर्थिक रूप से बदहाल करके उसका स्थान प्राप्त कर लेगा लेकिन उसका ये दाँव उल्टा पड़ रहा है।

2) चीन की जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटने की चिंता और CPEC ROUTE के खत्म होने का डर

चीन ने अमेरिका के साथ शीत युद्ध की घोषणा कर दी, पढ़ें वेंकटेश भार्गव की रिपोर्ट

● CPEC चीन का सबसे बड़ा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। चीन ने इस प्रोजेक्ट में करीब 46 Billion Dollars का निवेश किया है। चीन का सबसे बड़ा डर भारत द्वारा 5 अगस्त,2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का है। गृहमंत्री अमित शाह ने भरे सदन में कहा था कि Gilgit Baltistan और Aksai Chin दोनों ही भारत के अभिन्न अंग है और भारत इन इलाको को वापिस लेकर रहेगा। यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि CPEC का ROUTE भारत के GILGIT BALTISTAN से होकर गुजरता है, जिस पर फिलहाल पाकिस्तान का अवैध कब्जा है।

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● यदि Gilgit Baltistan को भारत प्राप्त कर लेता है तो CPEC PROJECT पर ताला लग जाएगा और चीन को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। पूरा CPEC ही International Laws के अंतर्गत ग़ैरकानूनी है क्योंकि ये भारत के इलाक़े से होकर गुजरता है जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। यदि चीन को POK में निर्माण कार्य करना है तो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उसके लिए भारत की मंजूरी लेनी चाहिए लेकिन उसने ऐसा नही किया जो की पूरे CPEC को ही Illegal बना रहा है। इसी वजह से चीन सरहद पर आक्रामकता दिखा रहा है।

3) चीन में व्याप्त आंतरिक असंतोष

चीन में व्याप्त आंतरिक असंतोष

● चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने आठ साल के कार्यकाल में सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। विवादास्पद प्रत्यर्पण विधेयक पर हांगकांग के हिंसक प्रदर्शन पूरी दुनिया देख चुकी है। ताइवान से भी चीन को कड़ी चुनौती मिल रही है। Xinjiang राज्य में Uyghur Muslims के उत्पीड़न के मामले को लेकर चीन को अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर आलोचना सहन करनी पड़ी है।  रही सही कसर #CoronaVirus ने पूरी कर दी है। दुनिया में चीन की छवि रसातल में पहुंच चुकी है। इसलिए दुनिया का ध्यान भटकाने के चीन अपने सभी पड़ोसियों से उलझ रहा है।

4) चीन-पाकिस्तान सीमा पर भारत द्वारा सड़क एवं रेल निर्माण कार्य मे तेजी

● पिछले कुछ वर्षो में भारत ने चीन और पाकिस्तान सीमा से सटे इलाकों में सड़क एवम रेलवे निर्माण के कार्य में तेजी लाई है। कई नए प्रोजेक्ट्स को शुरू किया है। Bilaspur-Manali-Leh Railway Line, DBO ROAD Project, कश्मीर घाटी में चीन पाकिस्तान सीमा तक Rail Connectivity इत्यादि। इन सब के कारण भारत अपनी सेना को चंद घण्टो में चीन और पाकिस्तान दोनो सरहदों पर Deploy कर सकता है इस वजह से भी चीन बौखलाया हुआ है। चीन भारत द्वारा सीमावर्ती इलाकों में सड़क एवं रेल निर्माण को काराकोरम पास और गिलगिट बाल्टिस्तान से गुजरनेवाले CPEC PROJECT के लिए खतरा मानता है। इसी वजह से चीन अक्सर भारत द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में किए जा रहे निर्माण कार्यो में अड़चनें पैदा करता है।

5) चीन के लिए वैश्विक स्तर पर उत्पन्न हो रही आर्थिक चुनोतियाँ

● अमेरिका से Trade War चलने के कारण China की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुँचा है,क्योंकि अमेरिका चीन से भारी मात्र में सामान आयात करता है। कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में चीन की विश्वसनीयता पर संशय पैदा हो गया है। दुनिया की  प्रतिष्ठित कंपनियां चीन में काम करने से कतरा रही हैं। चीनी नागरिकों में शासन के प्रति असंतोष स्पष्ट रूप से सामने आने लगा है। Experts की मानें तो ऐसी कठिन परिस्थितियों के बीच जनता के अंदर राष्ट्रवाद जगाने और मुख्य मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए चीनी राष्ट्रपति का यह पैंतरा आजमा रहे है। इसलिए China  दक्षिण चीन सागर, ताइवान,होंग कोंग और भारत के साथ आक्रामक रुख-रवैया अपना रहा है।

■ सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है  क्या चीन भारत का युद्ध हो सकता है? क्या चीन भारत के साथ या फिर अमेरिका के साथ Direct Confrontation को afford कर सकता है?

उत्तर है नहीं। आईये इसे विस्तार से समझते है।

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@ चीन की सेना एक साथ ढेर सारे मोर्चों पर उलझी हुई है। लद्दाख में भारत के साथ, South China Sea में Taiwan, Vietnam, Indonesia, Malaysia, Philippines,Brunei और Japan के साथ समुद्री सीमाओं को लेकर उलझा है। एक साथ सभी मोर्चों पर युद्ध करना चीन की क्षमता के बाहर की बात है।

चीन अमेरिका के साथ भी सीधे युद्ध नही लड़ सकता क्योंकि ऐसा करना चीन को ही भारी पड़ेगा क्योंकि USA एक NATO मेम्बर है और एक NATO सदस्य देश पर हमला पूरे NATO पर हमला माना जाता है। यदि चीन अमेरिका पर हमला करता है तो NATO की संधि के अनुसार पूरी NATO की सेना चीन पर हमला बोल देंगी।

@ वही Hong Kong में लोकतंत्र समर्थकों ने चीन की नाक पर दम करके रखा हुआ है। इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए चीन को Hong Kong में One Nation,Two Systems वाली प्रथा खत्म करते हुए National Security Law लागू करना पड़ा।

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जिसके विरोध ने अमेरिका ने Hong Kong को दिए हुए Special Economic Status को खत्म कर दिया है। चीन का National Security Law Hong Kong में लागू होने से होंग कोंग में काम कर रही विदेशी और अमेरिकी कम्पनियों को मिल रहा Tariff Benefits समाप्त हो जाएंगे और उन्हें अपने Manufacturing Units को HK और China के बाहर शिफ्ट करना ही पड़ेगा।

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@ चीन आज भी तिब्बत पर अपने कब्जे की वैधता को लेकर लड़ाई लड़ रहा है। वैश्विक समुदाय का एक बड़ा वर्ग Tibet को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देने के पक्ष में है।

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@ Xinjiang राज्य में #Uyghur Muslims के उत्पीड़न करने और उन्हें Concentration Camps में डालने की वजह से भी विश्व में चीन की छवि धूमिल हुई है। UNITED NATIONS HUMAN RIGHTS COUNCIL समेत दुनियाभर के कई मानवाधिकार संगठनों ने चीन को इस मुद्दे पर कई बार फटकार लगाई है।

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@ Corona Virus के फैलाव को लेकर दुनिया को अंधेरे ने रखने के कारण चीन की Worldwide Reputation कम हो गई है। विश्व की कई बड़ी प्रतिष्ठित कंपनियों ने चीन में अपना कारोबार बंद करने का फैसला किया है। जिससे चीन को भारी आर्थिक नुकसान होने की उम्मीद है। Corona Virus के कारण खुद चीन की GDP, Domestic Demand, Manufacturing को भारी नुकसान हुआ है।

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South China Sea और हिन्द महासागर  में चीन की विस्तारवादी नीतियों को Counter करने के लिए  USA-AUSTRALIA-INDIA-JAPAN ने मिलकर QUAD ALLIANCE बनाया है। इसके अलावा कुछ समय पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने G-7 का विस्तार करके उसे G-10 या G-11 बनाने की इच्छा जाहिर की है। G-7 के विस्तार के अंतर्गत इसमें भारत,रशिया,ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को जोड़ने का विचार है।

 इसके अलावा British PM Boris Johnson ने D-10 Group बनाने का एक नवीन विचार प्रस्तावित किया है। जो अप्रत्यक्ष रूप से एक Anti China Alliance होगा। इस प्रकार से पूरी दुनिया अब चीन के खिलाफ लामबंद हो रही है। ऐसे में क्या चीन पूरी दुनिया से लड़ने की क्षमता रखता है?? जवाब है नहीं। चीन छोटे से होंग कोंग और ताईवान को नियंत्रित नही कर पा रहा है तो उसके लिए लगभग 10 देशों के साथ युद्ध मोड़ लेना बेवकूफी और अतिआत्मविश्वास वाली बात होगी, जिसका खामियाजा चीन को ही भुगतना पड़ेगा।

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सन 2019 की पहली तिमाही में चीन को USA के साथ Trade War में करीब 35 Billion Dollars का नुकसान झेलना पड़ा है। भारत के साथ युद्ध करना उल्टा चीन को ही भारी पड़ेगा। चीन भारत को 74 Billion Dollars का समान EXPORT करता है, ऐसे में यदि चीन भारत के बीच युद्ध होता है तो चीन भारतीय बाज़ार भी गंवा देगा और उसकी सारी हेकड़ी निकल जाएगी।

लेखक : वेंकटेश भार्गव