वाहनों का नंबर ज्यादातर लोगों के लिए कोई खास मायने नहीं रखता। वहां लेते समय जरूर कुछ लोग पैसे देकर भी वीआईपी नंबर निकलवाते है। अन्यथा सॉफ्टवेयर से वह अपने आप ही निकल जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि आरटीओ ने कभी किसी के गाड़ी का नंबर अलर्ट कर दिया जिससे उसको सड़क पर निकलना मुश्किल हो जाता है।
चलते लोग उसे ताना मारते हैं? वाहन लेने के बावजूद भी मजबूरन उसे पैदल चलना पड़ता है? आपको बता दे देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है, हालांकि इस संबंध में आरटीओ का रास्ता जरूर बताया है। दिल्ली में रहने वाली युवती को जॉब के लिए रोजाना नोएडा जाना पड़ता था। मेट्रो बस और ऑटो के सफर करने के बहुत समय बर्बाद होता था।
उसने अपने पापा से स्कूटी मांगी तो पिता ने 1 साल बाद उसकी इच्छा पूरी करी। दिवाली पर स्कूटी का गिफ्ट दिया। उसके बाद जो स्कूटी का नंबर आया तो फिर स्कूटी का नंबर देखकर वह बहुत परेशान हो गई नंबर में ऐसे अल्फाबेट्स आए जिसकी वजह से वह स्कूटी पर नंबर डलवाना नहीं चाह रही थी, लेकिन 15 दिन के अंदर रजिस्ट्रेशन नंबर डलवाना अनिवार्य होता है।
इसलिए मजबूरी में उसने नंबर डलवाया। इसके बाद तो युवती का स्कूटी लेकर निकलना मुश्किल हो गया। दरअसल स्कूटी का रजिस्ट्रेशन नंबर DL3 SEX* मिला। इसके बाद उसने स्कूटी को रोड पर चलाना शुरू किया तो, आसपास की महिलाएं और लड़के निकलते समय ताना मारते थे।
युवती के मुताबिक स्कूटी के नंबर को लेकर लड़के उस पर तरह तरह के कमेंट पास करते थे। यहां तक कि जब युवती का उसके परिवार वालो के साथ पैदल भी निकलते थे तब भी वह ताना कसते थे।मजबूरन अब युवती ने स्कूटी चलाना ही बंद कर दिया। पहले की तरह अब उसे बस ऑटो, मेट्रो से ही ऑफिस जाना पड़ रहा है।
RTO ने सुझाया यह रास्ता:
एनसीआर गाजियाबाद के आरटीओ प्रशासन विश्वजीत प्रताप सिंह ने बताया कि नंबर का आवंटन कंप्यूटराइज्ड होता है। इसलिए इसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन एक रास्ता जरुर हो सकता है। कि स्कूटी को एनओसी दिल्ली के आसपास के शहर ले जा सकते हैं। और वहां पर रजिस्ट्रेशन कराकर नया नंबर लिया जा सकता है। इस तरह पुराने नंबर को बदला जा सकता है।