सोनीपत के एक शख्स को अपनी दादी को बेसहारा छोड़ना महंगा पड़ गया। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पोते को दादी से मिले प्लॉट को वापस उनके नाम करने का आदेश दिया है। प्लॉट पर किए गए निर्माण की 25 लाख की राशि की दलील हाईकोर्ट ने खारिज कर की। कोर्ट ने कहा याची ने जोखिम लेकर यह निर्माण किया था। हाईकोर्ट ने याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि याची ने जो सबूत पेश किए हैं, वह साबित नहीं करते कि याची दादी का खर्च उठा रहा था। दादी ने रजिस्ट्री के समय यह शर्त डाली थी कि यदि पोता ध्यान नहीं रखेगा तो संपत्ति की रजिस्ट्री रद्द हो सकती है।
बता दें कि सोनीपत के राई निवासी नवीन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि उसकी दादी राम रती को ग्राम पंचायत राई से 100 गज का प्लॉट अलॉट हुआ था।
7 दिसंबर 2016 को उसकी दादी ने यह प्लॉट उसके नाम ट्रांसफर किया था। इसके बाद अचानक अपने एक बेटे के बहकावे में आकर दादी ने मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के चेयरमैन को शिकायत दी कि उसका पोता उससे दुर्व्यवहार करता है और ऐसे में संपत्ति को पोते के नाम से दोबारा उसके नाम की जाए।
वहीं, इस मामले में कोर्ट ने दादी के हक में फैसला सुनाते हुए संपत्ति याचिकाकर्ता के हक में हुई रजिस्ट्री को रद्द करने का आदेश दे दिया। याची ने कहा कि वह अपनी दादी का पूरा ध्यान रखता था और उसके सारे खर्च की आपूर्ति भी करता था। याची ने जो प्लॉट मिला था, उस पर 25 लाख खर्च कर मकान बनाया है।
दादी को लगा कि संपत्ति नाम होने के बाद याची का व्यवहार बदल गया है तो उसने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। साथ ही हाईकोर्ट ने 25 लाख खर्च की दलील पर कहा कि याची ने यह निर्माण अपने जोखिम पर किया था।
याची को चाहिए था कि वह इस खर्च को करने के बाद दादी का ध्यान भी रखे। ऐसे में हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के फैसले पर मोहर लगाते हुए अब निर्माण के साथ ही संपत्ति लौटाने का आदेश दिया है।