आतंकवादियों पर लगाम लगाने में माहिर थे CDS बिपिन रावत, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कई ऑपरेशन की कर चुके हैं अगुआई

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बुधवार दोपहर तमिलनाडु के कुन्नूर में बहुत बड़ा हादसा हुआ। भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत को ले जाने वाला सेना का Mi-17 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और सेना के चार से पांच उच्च अधिकारी समेत कुल 14 लोग सवार थे। ये सभी एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे। जानकारी के अनुसार अभी तक 14 में से कुल 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है। DNA टेस्ट के आधार पर इनकी पहचान की जाएगी। सीडीएस रावत ने पिछले चार दशकों में देश के कई बड़े ऑपरेशनों में अपना योगदान दिया है।

सीडीएस बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को देहरादून में हुआ था। उनके पिताजी एलएस रावत भी फौज में थे और उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत के नाम से पहचाना जाता था। CDS रावत सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र हैं।

आतंकवादियों पर लगाम लगाने में माहिर थे CDS बिपिन रावत, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कई ऑपरेशन की कर चुके हैं अगुआई

उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में M. Phil की डिग्री हासिल की है। साथ ही मैनेजमेंट और कंप्यूटर स्टडीज में डिप्लोमा भी प्राप्त किया है। दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में उन्हें नियुक्त किया गया।उन्हें “स्वॉर्ड ऑफ ऑनर” से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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सैन्य मीडिया रणनीतिक अध्ययन पर अपना शोध भी पूरा किया और 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से उन्हें सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा और लीडरशिप पर वे कई लेख भी लिख चुके हैं जो विभिन्न पत्रिकाओं और प्रकाशनों में प्रकाशित हुए हैं।

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जनरल बिपिन रावत को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का अनुभव है। वे 1986 में चीन से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख की भूमिका भी निभा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फैन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की है। वे कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी कर चुके हैं।

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सीडीएस बिपिन रावत की अगुआई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन्स को अंजाम दिया है। पूर्वोत्तर में आतंकवाद का सफाया करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जून 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन NSCN के कई आतंकियों को ढेर किया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे।

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इसके अलावा 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने POK में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों और आतंकियों को मार गिराया था। उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में CRPF पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद भारतीय सेना ने यह एक्शन लिया था।

पिछले चार दशकों से कर रहे थे देश की सेवा

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साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश की तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को और बेहतर बनाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS का नया पद बनाने का ऐलान किया था। इसके बाद भारतीय सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद ही बिपिन रावत ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS का पदभार संभाला था।

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अपने चार दशकों की सेवा के दौरान, जनरल रावत ने ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच में कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव और जूनियर कमांड विंग में सीनियर इंस्ट्रक्टर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं।