चीन को भारत से पंगा लेना पड़ा भारी , चीनी कन्साइनमेंट को झेलनी पड़ी कस्टम्स की मार

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भारत – चीन के बीच तनाव बढ़ते जा रहे है और इसी तनाव के चलते भारत ने चीनी इम्पोर्ट्स(जो मुंबई व चेन्नई पोहोंचे है) पर बाधाए लगा दी है। सूत्रों के अनुसार यह बाधाए पिछले 15 दिनों से लगनी शुरू होगयी थी। वही सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्सेस और कस्टम्स(सी.बी.आई.सी) की ओर से इम्पोर्ट्स को लेकर कोई लिखित अनुदेश नही आया है।

कस्टम्स प्रक्रिया होती क्या है?

चीन को भारत से पंगा लेना पड़ा भारी , चीनी कन्साइनमेंट को झेलनी पड़ी कस्टम्स की मार

कोई भी समान व वस्तु जब किसी देश से किसी और देश जाता है तो उस देश मे वस्तु या समान लेने से पहले कस्टम चेक या निरक्षण होता है। इस कस्टम क्लीयरेंस मे कुछ प्रोटोकॉल होती है और उन सभ प्रोटोकॉल के बाद, कन्साइनमेंट के निरक्षण मे अगर कुछ नही आता तो उस कन्साइनमेंट को “आउट ऑफ चार्ज आर्डर” दिया जाता है जिस से कन्साइनमेंट वहां से निकलने के लिए पारित होजाता है।

अभी की स्थिती क्या है?

एक मुंबई स्थित उद्योग सूत्र ने बताया है कि चीनी समान व कन्साइनमेंट की क्लीयरेंस को (खासकर नॉन- एसेंशियल) टाला जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया है कि कुछ चीनी समान के लिए प्रशासन बहुत समय ले रही है क्योंकि वो तुरन्त उस समान का निरक्षण नही कर रहे है। भारतीय कस्टम्स ने वस्तुओं को दो भाग मे बाट दिया है – एसेंशियल या आवश्यक समान और नॉन- एसेंशियल या अनावश्यक समान। जो अनावश्यक समान है उसे पीछे डाल दिया जा रहा है और उसका निरक्षण बाद मे हो रहा हैं। कस्टम्स प्रशासन यह कहना है कि ” ऐसा नही है कि हम निरक्षण नही कर रहे पर बाकी देशों से आए एसेंशियल समान को प्राथमिकता दे रहे है।

अब इसके बाद भारतीय इंपोर्टर्स को यह समझ आ रहा है कि अगर वो नॉन- एसेंशियल समान चीन से मंगवा रहे है तो समय व आर्थिक नुकसान दोनो है। समय का नुकसान इसलिए क्योंकि समान का निरक्षण होने मे समय लग रहा है और आर्थिक नुकसान इसलिए क्योंकि इम्पोर्टर को ‘विलंब शुल्क” या “डिले चार्जेज” देने पड़ेंगे।

टैरिफ या गैर टैरिफ बाधाओं के रूप मे चीन से आयात पर संभावित प्रतिबंधों पर चर्चा की जा रही है। भारत के कुल आयात(gdp) मे चीन का लगभग 14 प्रतिशत हिसा है।

रूस और भारत की बढ़ती दोस्ती

वही दूसरी तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को 3 दिन की रूस की यात्रा के लिए रवाना होगए। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि ” भारत के लिए बहुत गर्व की बात है की “75th विक्ट्री डे परेड” मे भारतीय सेना की एक टुकड़ी भी कल “रेड स्क्वायर” मे मार्च करेगी”। उन्होंने यह भी कहा कि वह 2020 मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

चीन को भारत से पंगा लेना पड़ा भारी , चीनी कन्साइनमेंट को झेलनी पड़ी कस्टम्स की मार

सूत्रों के अनुसार इस यात्रा मे रक्षा मंत्री रूस के मिल्ट्री ऑफिसर्स से अनुरोध करने वाले है कि “s-400” मिसाइल सिस्टम और बाकी हतियारो का वितरण समय से होजाए। यह डील भारत और रूस के बीच 2018 मे 5 बिलियन डॉलर के लिए हुई थी जिसमे रूस द्वारा बनाई गई “s-400” मिसाइल सिस्टम भारत को दी जाएगी।

मास्को की परेड मे चीन के रक्षा मंत्री भी मौजूद होंगे और 11 देशों के साथ चीन और भारत की सैन्य टुकड़ी भी परेड मे हिसा लेंगी।

भारत और चीन का बढ़ता तनाव चीन के लिए भारी पड़ने लगा है और चीन को भारत से व्यापार मे लगभग 48.5 बिलियन डॉलर का फायदा होता है और अगर बॉर्डर पर स्थतिथि ऐसे ही रही तो स्थिति और गम्भीर हो सकती है।

Written by- Harsh Datt