इसमें कोई दो राय नहीं कि लॉक डाउन के कारण व्यक्ति तंगी से गुजर रहा हो। ऐसे में आमजन को राहत देने के लिए बिजली आपूर्ति के लिए न्यूनतम बिल भुगतान का प्रावधान रखा गया था, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। लोगो के पास अभी भी पहले की तरह सामान्य रूप से बिजली के बिल भुगतान करने की क्षमता जाहिर की जा रही है।
जिस पर अब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोविड-19 द्वारा लाई गई शर्तों के मद्देनजर हरियाणा और उसकी बिजली वितरण कंपनियों को दो याचिकाओं पर मंगलवार को नोटिस जारी किया है. याचिका में उद्योग पर निर्धारित बिजली शुल्क से छूट की मांग की गई है।
जिसमें डीएचबीवीएन, एचवीपीएन और यूएचबीवीएन के खिलाफ मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फरीदाबाद और हरियाणा पर्यावरण प्रबंधन सोसायटी द्वारा दायर याचिकाओं को उठाते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार ने पूरे मामले में विचार विमर्श के लिए 23 जुलाई की समय अवधि तय कि है।
वही वरिष्ठ वकील चेतन मित्तल और विशाल शर्मा ने यह दावा करते हुए कहा है कि उद्योग संकट में है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्यों ने पहले ही निश्चित बिजली शुल्क की माफी की घोषणा कर दी थी। मित्तल ने अपना तर्क दिया कि राज्य डिस्कॉम को बिजली की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को छूट दी गई थी, लेकिन इसका लाभ उपभोक्ताओं को नहीं दिया गया था।
उपभोक्ताओं को इस लाभ से वंचित रखा जा रहा है। आमजन एक तो वैसे ही घरों में कैद है ऐसे में अस्पताल से बरसती चिलचिलाती धूप और गर्मी से बेहाल इंसान पंखे, कूलर इत्यादि का सहारा ले रहा है। पूरे पूरे दिन घर में रहते हुए बिजली के उपकरणों का उपयोग बढ़ गया है, ऐसे में बिजली का बिल भी ज़्यादा आना लाजमी है, लेकिन इसकी कीमत चुकानी आमजन को मंहगी पड़ रही है।
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