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पूरे एक साल खिलाया फ्री में खाना तो सरकार ने बंद कर दिया ढाबा, फिर खुलने जा रहा है ‘राणा’ का ‘गोल्डन हट’

आज हम आपको उस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने किसानों को एक साल तक फ्री खाना खिलाया। जब सरकार को इसका पता चला तो सख्ती बरतते हुए उसका ढाबा बंद करा दिया गया। पहले दिन से किसान आंदोलन के समर्थक रहे राम सिंह राणा अब दोबारा अपना गोल्डन हट ढाबा शुरू करने जा रहे हैं। यह ढाबा अमृतसर-नई दिल्ली हाईवे पर सोनीपत के पास स्थित है। आंदोलन के दौरान राम सिंह हरियाणा सरकार के निशाने पर आ गए और सरकार ने सख्ती बरतनी शुरू की तो राणा को ढाबा बंद करना पड़ा।

शनिवार को ढाबे के सामने से गुजरते किसानों के फतेह मार्च को देखकर वे बेहद खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि गोल्डन हट बहुत जल्दी फिर से चालू होने जा रहा है। बेशक आंदोलन खत्म हो चुका है लेकिन किसानों के लिए उनके ढाबा पर फ्री खाने की सुविधा हमेशा जारी रहेगी।

पूरे एक साल खिलाया फ्री में खाना तो सरकार ने बंद कर दिया ढाबा, फिर खुलने जा रहा है ‘राणा’ का ‘गोल्डन हट’

शनिवार को फतेह मार्च के दौरान पंजाब लौट रहे किसानों के लिए राम सिंह राणा ने अपने गोल्डन हट ढाबा में लंगर का आयोजन किया। जीत की खुशी में किसानों का मुंह मीठा कराने के लिए गुलाब जामुन का भी इंतजाम किया गया।

राणा के ढाबे का रास्ता बंद कर दिया था

आंदोलन करने वाले किसानों की मदद करने की वजह से राणा खूब सुर्खियों में रहे। जिसकी वजह से उन्हें हरियाणा सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार के कोप का भाजन बनना पड़ा। सरकार के आदेश पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने सोनीपत में हाईवे पर उनके ढाबे के लिए बने कट को बड़े-बड़े पत्थर लगाकर बंद कर दिया था ताकि वाहन चालक वहां न रुक सकें।

सुखबीर-मजीठिया ने किया हौंसला अफजाई

राम सिंह राणा पर और भी कई तरह के दबाव डाले गए। धीरे-धीरे माहौल ऐसा बन गया कि उन्हें अपना ढाबा बंद करना पड़ा। उस समय कई सिख और किसान संगठनों ने उनके हक में आवाज बुलंद की।

तब शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम मजीठिया खास तौर पर उनके ढाबे पर पहुंचे थे। किसानों की मदद करने की वजह से उन्हें गोल्डन टैंपल में सिरोपा देकर सम्मानित भी किया गया।

कुरुक्षेत्र के हैं राम सिंह राणा

राम सिंह राणा मूलतः कुरुक्षेत्र के रहने वाले हैं। वे कुरुक्षेत्र व सोनीपत में गोल्डन हट नाम से ढाबा चलाते हैं। उनके दो ढाबे हैं एक कुरुक्षेत्र और दूसरा सोनीपत। सोनीपत वाला ढाबा तो उन्होंने पूरी तरह किसान आंदोलन के ही नाम कर रखा है। वहां किसानों के रहने, खाने-पीने, नहाने-धोने और लंगर की व्यवस्था है। इतना ही नहीं राणा लगातार किसानों के पास पानी, दूध, आटे या दूसरे जरूरी सामान की भी सप्लाई कर रहे हैं।

वर्ष 2020 में किसानों ने जब सिंघु बॉर्डर पर धरना शुरू किया तो हाईवे पर उनकी मदद के लिए राम सिंह राणा सामने आए। उन्होंने अपने ढाबे पर किसानों के लिए फ्री खाना शुरू किया। ताकि आंदोलन के दौरान किसी भी किसान को भोजन की दिक्कत न हो।

Avinash Kumar Singh

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