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किसानों के खाने पर रोजाना 4 लाख रुपए खर्च करता था यह शख्स, आंदोलन के दौरान पूरा एक साल तक चलाया लंगर

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जैसा कि आपको पता ही है पिछले 1 साल से किसान आंदोलन चल रहा था। जिस वजह से सारे रास्ते ब्लॉक थे। क्योंकि किसान वहीं पर रहते थे। वहीं पर सोते थे और वहीं पर खाते पीते थे। मगर अब यह आंदोलन समाप्त हो गया है। किसान अपने घर की ओर चल पड़े हैं। ऐसे में हम आपको बता दें सिंधु बॉर्डर पर किसानों के लिए 1 साल तक इस शख्स ने मुफ्त में लंगर चलाया था।पूरी जानकारी के लिए खबर अंत तक पढ़े।

इन्होंने आंदोलन के दौरान हजारों किसानों को मुफ्त में खाना खिलाया है। अब आंदोलन खत्म होने के बाद किसान संयुक्त मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इनका शुक्रिया अदा किया है। आपको बता दें इस रेस्टोरेंट का नाम गोल्डन हट है। इनके मालिक राणा रामपाल सिंह ने  बताया वह ऐसा करके बहुत खुश है।

किसानों के खाने पर रोजाना 4 लाख रुपए खर्च करता था यह शख्स, आंदोलन के दौरान पूरा एक साल तक चलाया लंगर

उन्होंने खुशी का मुख्य कारण बताया कि किसान जीत गए हैं। किसान मेरा परिवार है। यह लंगर तब तक चलेगा जब तक हर एक किसान अपने घर नहीं पहुंच जाता। आपको बता दें राणा राजपाल सिंह रोजाना करीबन ₹400000 का लंगर चलाते थे।

किसानों के खाने पर रोजाना 4 लाख रुपए खर्च करता था यह शख्स, आंदोलन के दौरान पूरा एक साल तक चलाया लंगर

आपको बता दें किसान आंदोलन के दौरान यह रेस्टोरेंट बंद हो गया था अब क्योंकि आंदोलन खत्म हो गया है तो,  वह अपने रेस्टोरेंट को खोलने की फिर से तैयारी कर रहे हैं। यह तो आपको पता ही है कि पिछले साल भर से अधिक समय से किसान 3 कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे।

किसानों के खाने पर रोजाना 4 लाख रुपए खर्च करता था यह शख्स, आंदोलन के दौरान पूरा एक साल तक चलाया लंगर

आंदोलन को वापस लेने के पहले दिन ही अधिकांश किसान  दिल्ली की सीमाओं को छोड़ कर अपने घर लौट आए थे।  19 नवंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि केंद्र इसी महीने के अंत में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए आवश्यक विधेयक लाएगा।

किसानों के खाने पर रोजाना 4 लाख रुपए खर्च करता था यह शख्स, आंदोलन के दौरान पूरा एक साल तक चलाया लंगर

लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही कृषि कानून वापसी बिल को पारित कर दिया गया था। बता दें कि किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमा पर धरने पर बैठे थे।

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