बिहार के अररिया जिले में पाक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश सह अपर सत्र न्यायाधीश (षष्ठम) शशिकांत राय ने दुष्कर्म के मामले में एक ही दिन में गवाही, बहस व सजा सुनाकर उदाहरण प्रस्तुत किया है। अभियुक्त राजकुमार यादव (28) को अंतिम सांस तक सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। पीड़िता को बतौर मुआवजा 10 लाख रुपये देने का भी आदेश राज्य सरकार को दिया गया है।
बुधवार सुबह सभी आठ गवाह अदालत में पेश किए गए। गवाहों से जिरह के बाद अभियुक्त पर दोष सिद्ध हुआ। इसके बाद फैसला सुनाया गया। इससे पहले भी इसी न्यायालय में दुष्कर्म के मामले में आरोपी दिलीप यादव को भी इसी प्रकार की कार्यवाही में एक दिन में सजा सुनाई गई थी।
पीपी श्याम लाल यादव ने बताया कि पुलिस द्वारा जिन गवाहों को पेश किया गया, उनमें बच्ची के माता-पिता, दो ग्रामीण, महिला चिकित्सक व मामले की अनुसंधानकर्ता अनिमा कुमारी समेत दो अन्य शामिल हैं।
विशेष न्यायाधीश शशिकांत राय ने एक दिन में सभी बिंदुओं पर सुनवाई पूरी करते दोषी को अंतिम सांस तक सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माने की राशि नहीं देने पर 10 दिन अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।
पोक्सो अधिनियम एवं नियम 2012 के अंतर्गत पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में डीएलएसए के सचिव को 10 लाख रुपये देने का आदेश दिया। न्यायालय के इस फैसले पर बच्ची के माता-पिता ने संतोष जताया है। आरोपित की ओर से अधिवक्ता वीणा झा ने बहस में भाग लिया।
उधर बिहार सरकार के गृह विभाग के अभियोजन निदेशालय ने दावा किया कि यह देश में POCSO अधिनियम के तहत सबसे तेज ट्रायल था। वहीं, गृह विभाग ने कहा कि इसने 2018 में MP की एक कोर्ट द्वारा तय की गई 3 दिनों में एक फैसले के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
यह था मामला
कुर्साकांटा प्रखंड के कुआड़ी ओपी क्षेत्र में 22 सितंबर, 2021 की शाम छः बजे बच्ची घर के पास खेल रही थी। राजकुमार यादव चाकलेट दिलाने के बहाने बच्ची को गांव के पास एक सुनसान स्थान पर ले गया और उसके साथ दरिंदगी की।
घर लौटकर बच्ची ने अभिभावकों को आपबीती सुनाई। इसी त को 11.30 बजे महिला थाने में केस दर्ज किया गया। अगले दिन बच्ची की मेडिकल जांच के बाद आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
अररिया महिला थाना की आईओ सह एसआई अनीता कुमारी ने कहा कि दुष्कर्म जैसे मामले में आरोपित की गिरफ्तारी से लेकर सजा दिलाने में पूरी निष्ठा से मैंने काम किया। अभियुक्त को सजा दिलाने के बाद मुझे लगा कि मैं बच्ची को न्याय दिलाने में सफल रही। इससे अपराधियों में कानून के प्रति खौफ पैदा होगा।