अब 18 मे नहीं 21 साल की उम्र मे दुल्हन बनेंगी लड़कियां, जानिए क्या हुआ नियमों में बदलाव?

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बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने दो बड़े सुधारों से जुड़े विधेयकों को मंजूरी दी। पहला बड़ा सुधार लड़कियों की शादी की उम्र से जुड़ा है। कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान यानी 21 साल करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी। वहीं, चुनाव सुधारों से जुड़े विधेयक को भी मंजूदी दी गई है इस विधेयक के संसद से पास होने पर वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने के साथ ही नए वोटरों को रजिस्ट्रेशन के ज्यादा मौके मिलेंगे।

यह दोनों विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही पेश होंगे। दोनों ही सुधार क्रांतिकारी माने जा रहे हैं। पीएम मोदी ने 2020 में लालकिले से संबोधन के दौरान लड़कियों और लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र समान करने की बात कही थी।

अब 18 मे नहीं 21 साल की उम्र मे दुल्हन बनेंगी लड़कियां, जानिए क्या हुआ नियमों में बदलाव?

लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु पर विचार करने के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्कफोर्स का गठन हुआ था, जिसने नीति आयोग को अपनी रिपोर्ट दी थी। इसमें लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का रोल आउट प्लान था। मोदी सरकार के कार्यकाल में शादी से जुड़ा यह दूसरा बड़ा सुधार है, जो समान रूप से सभी धर्मों पर लागू होगा। इससे पहले एनआरआई मैरिज को 30 दिन में रजिस्टर कराने का कदम उठाया गया था।

टास्क फोर्स ने दी थी रिपोर्ट

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10 सदस्यों की टास्कफोर्स ने देशभर के प्रबुद्ध अध्येताओं, कानूनी विशेषज्ञों नागरिक संगठनों के नेताओं से परामर्श किया वेबिनार के जरिए देश में सीधे महिला प्रतिनिधियों से बातचीत कर रिपोर्ट को दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में सरकार के सुपुर्द कर दिया गया।

इससे पहले 1978 में हुआ था संशोधन

टास्कफोर्स ने शादी की उम्र समान 21 साल रखने को लेकर 4 कानूनों में संशोधनों की सिफारिश की है। युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी परिवर्तन 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी।

16 करोड़ है 18 से 21 विवाहित लड़कियों की संख्या

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यूनीसेफ के अनुसार भारत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है। जनगणना महापंजीयक के मुताबिक देश में 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है।

आधार से जोड़ने की व्यवस्था होगी वैकल्पिक

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चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की सिफारिश की थी, ताकि वोटर लिस्ट पारदर्शी और सटीक बने। फर्जी वोटरों या एक से अधिक जगह वोटर लिस्ट में दर्ज वोटरों को हटाने में भी मदद मिलेगी। आयोग माइग्रेंट वर्करों को उनकी रिहायश के शहरों में वोट देने की मंशा रखता है और इससे यह कदम साकार होगा।

वन नेशन वन डेटा की दिशा में भी यह बड़ा कदम होगा। जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन करते हुए 1 जनवरी के बाद 18 साल के होने वाले युवाओं को साल में चार बार मतदान सूची में नाम दर्ज करने की अनुमति देने का प्रावधान भी इस विधेयक में होगा।