आज के समय में भ्रष्टाचार इतना बढ़ता जा रहा है कि हर व्यक्ति भ्रष्ट होता जा रहा है। अगर बात करे सरकारी अफसरों की तो वह सबसे ज्यादा भ्रष्ट होते जा रहे है। समय – समय पर जांच अधिकारी इनकी पोल खोलते रहते है। ऐसे की कुछ अधिकारियों की पोल नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने खोली है। जिसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे। जानने के लिए खबर को अंत तक पढ़े।
आपको बता दे, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने नोएडा में जमीन की बंदरबाट का खुलासा किया है। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों और बिल्डर्स ने आपस में मिलकर जमीन अधिग्रहण, आवंटन और मंजूरियों में नियमों को जमकर अनदेखा किया है।
बता दे, सीएजी का मूल्यांकन है अधिकारियों की करतूतों के चलते नोएडा अथॉरिटी को 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने इसे रीयल एस्टेट डिवेलपर्स के लिए स्वर्ग बना दिया क्योंकि केवल 18% जमीन का इस्तेमाल ही इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट के लिए हुआ।
जानकारी के अनुसार, नोएडा में हजारों फ्लैट्स के मालिक पजेशन का इंतजार कर रहे हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रस्तावित 1.3 लाख ग्रुप हाउजिंग फ्लैट्स में से 44% (57,000) के पास ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट्स नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा के 113 में से 71 हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स भुगतान की अवधि पूरी होने के बावजूद अधूरे पड़े हैं। इनके बिल्डर्स के खिलाफ नोएडा अथॉरिटी ने कोई कार्रवाई नहीं की।
सीएजी ने दिल्ली से सटे नोएडा का पहला बार परफॉर्मेंस ऑडिट किया है। यह ऑडिट 2005-06 से लेकर 2017-18 की अवधि के बीच का है। अपने ऑडिट में सीएजी ने पाया कि नोएडा ने जमीनों की प्लानिंग, अधिग्रहण, कीमत तय करने और आवंटन में कई गड़बड़ियां कीं।
आपको बता दे सीएजी ने नोएडा बोर्ड, उसके प्रबंधन और अधिकारियों की नाकामी को उजागर किया है। ग्रेटर नोएडा पर भी सीएजी की ऐसी ही एक रिपोर्ट जल्द विधानसभा में रखी जाएगी।
नोएडा में जमीनों की बंदरबाट का खुलासा करती सीएजी की यह रिपोर्ट अगले साल होने प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले सियासी पारा चढ़ा सकती है। रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ सरकार से पहले की सरकारों के कामकाज का ऑडिट है।
आपको बता दे नोएडा अथॉरिटी ने ‘इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट’ को वजह बताकर 80% भूमि ‘तात्कालिकता खंड’ के तहत अधिग्रहीत की। अंतिम प्रस्ताव जमा करने में 11 महीने से लेकर चार साल तक की देरी हुई। सीएजी ने केवल जमीनों के आवंटन से ही 14,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है।
रिपोर्ट बताती है कि कैसे नोएडा के अधिकारियों ने बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को तोड़ा-मरोड़ा। बिल्डर्स का बकाया 14,000 करोड़ की अलॉटमेंट वैल्यू के मुकाबले 18,633 करोड़ तक पहुंच गया, मगर कोई ऐक्शन नहीं लिया गया।