कभी-कभी कोर्ट में भी जज साहेब के लिए ऐसी दुविधा उत्पन्न हो जाती है कि, उसे सुलझाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे ही एक शख्स ने जब साहिब से कहा” मेरी पत्नी मुझ पर अत्याचार करती है और क्रूर स्वभाव की है। जब मैं रात को ऑफिस से घर आता हूं, तो वह घर का दरवाजा ही नहीं खोलती “,इतना ही नहीं वह मुझ पर मेरी बहन वह ऑफिस की महिला सहकर्मियों के साथ अवैध संबंध के आरोप भी लगा दी है।
वहीं पत्नी पर यह आरोप लगाते हुए हिसार का निवासी पति ने अपनी पत्नी से तलाक की भी मांग करी। वहीं पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा तुच्छ आरोप तलाक के आधार पर नहीं हो सकता है।
वही हाई कोर्ट का कहना है कि अगर दुर्व्यवहार काफी लंबी अवधि तक रहता है या फिर संबंध इस हद तक खराब हो जाए कि पति या पत्नी के कृत्यों और व्यवहार के कारण पीड़ित पक्ष को अब दूसरे पक्ष के साथ रहना मुश्किल लगता है। या फिर यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आ सकता है। वही हमारा विचार यह है कि ऐसी भी घटना की कोई तारीख या महीना बताएं क्रूरता का सामान्य आरोप अपीलकर्ता को अपना मामला साबित करने में मदद नहीं करते हैं।
वही मतभेद और अन्य मुद्दों के कारण दोनों नवंबर 2009 से अलग रह रहे हैं। वही फैमिली कोर्ट हिसार ने क्रूरता के आधार पर पति की तालाब की मांग को खारिज कर दिया था। वही फैमिली कोर्ट के आदेश से पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन पत्नी का पति पर आरोप यह है कि चरित्रहीन और वह शराबी है। वही आपको बता दें कि पति को मानसिक यातना देता था और वह वैवाहिक संबंध रखना चाहता था। वहीं जबकि पति ने पत्नी पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए कहा कि उसकी पत्नी उसके और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उसके रिश्तेदारों, दोस्तों और सहकर्मियों की उपस्थिति में दुर्व्यवहार और अपमान भी करती थी।
वही आपको बता देंगे पति ने वकील के लिए तर्क दिया कि दोनों पक्ष। पिछले लगभग 12 वर्षों से अलग रह रहे थे और सुना की कोई संभावना नहीं है, इसलिए यह अपरिवर्तनीय रूप से टूटी हुई शादी का मामला है और इस आधार पर तलाक दिया जा सकता है। हालांकि पत्नी की दलील थी कि उसे नवंबर 2009 में वैवाहिक घर छोड़ने के लिए मजबूर भी किया गया था और अगले दो महीनों के भीतर पति ने विवाद के समाधान के लिए कोई प्रयास भी नहीं किए और प्रयास किए बिना तलाक की याचिका दायर कर दी पति ने भी अपने बेटे की कस्टडी की मांग नहीं की जो पिछले 12 वर्षों से पत्नी के साथ रह रहा है।
पति के आचरण से पता लगता है कि अपनी पत्नी के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उसे छुटकारा पाने में रुचि रखता है। साथ ही दोनों पक्षों को सुनाने के बाद हाईकोर्ट ने पति की याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया,कि उसके आरोप बयान क्रूरता का आधार साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
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