जम्मू कश्मीर में जोरदार सर्दी पड़ रही है, ऐसे में बिजली बहुत बड़ा सहारा है लोगो के लिए ठंड से बचने के लिए। चाहे घर को गर्म करने के लिए रूम हीटर चलाना हो, गीजर चलाना हो, या हीटर पर खाना बनाना हो… इसके अलावा ऑफिस का काम, बच्चो की पढ़ाई, TV, फ्रिज, और किचन का काम… बिजली तो चाहिए ही?
जम्मू के Electricity Department के कर्मचारी इस समय हड़ताल पर चले गए हैं, जाहिर है उनकी कुछ मांगे होंगी… लेकिन जाने से पहले पावर सप्लाई भी बन्द कर गए… हड़ताल करो लेकिन आम जनता को परेशानी में डाल कर क्यों??
लोगो की समस्या को देख प्रशासन ने भारतीय सेना से सहायता मांगी और तुरंत ही हमारे अफसर और जवान पावर प्लांट पहुंच गए और सारा काम संभाल लिया। पावर भी restore कर दी और अब manage भी कर रहे हैं।
इस खबर से कुछ सबक मिलते हैं
- सेना का काम ये नहीं है, लेकिन वो देशहित में कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।
- हड़ताल को हथियार बनाना अब ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा।
- अगर आप हड़ताल के नाम पर अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं, तो याद रखिये आप कभी भी replace कर दिए जाएंगे।
- आपकी समस्या हो सकती हैं, लेकिन हड़ताल करके आम जनता को मुसीबत में डाल कर आप अपने प्रति होने वाली सहानुभूति से हाथ धो बैठते हैं।
पिछले दिनों bank कर्मचारियों की हड़ताल हुई, किसानों का आंदोलन हुआ, महराष्ट्र में भी बस कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। अगर आप trend देखेंगे तो ये समझ आएगा कि अब आम जनता इन हड़तालों, धरनों का समर्थन करना बंद करती जा रही है। शायद कुछ सालों में ऐसे किसी भी हड़ताल का जन विरोध ही शुरू हो जाये।
समस्या को उठाने के नए तरीके ढूंढने पड़ेंगे। ये कम्युनिस्ट तरीके की हड़तालें, काम बन्द करने के बहाने, और जनता को सुविधा से वंचित करने वाले काम पिछली सदी में चलते थे, अब नही चलेंगे। आपको हक है अपनी आवाज़ उठाने का, लेकिन ध्यान रखिये कि आप सेवक हैं, आपकी आवाज कहीं किसी और का अधिकार तो नही छीन रही है???
अगर ऐसा है तो सोचिए, और तौर तरीके बदलिए, अन्यथा आप ही बदल दिए जाएंगे…व्यवस्थाएं और सिस्टम कब बदल जाए, किसको पता।