देश धीरे-धीरे डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है। हर चीज डिजिटल होती जा रही है। प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दे रही है। कई कंपनियों ने अपनी इलेक्ट्रिक गाड़िया लॉन्च भी कर दी हैं और सड़को पर बिना किसी रुकावट के दौड़ रही हैं। देश भर में इन दिनों इलेक्ट्रिक गाड़ियों की धूम है। लगातार नई इलेक्ट्रिक कार और स्कूटर लॉन्च किए जा रहे हैं। लोग अब पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों के बीच इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदने में खासी दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं। लेकिन कई लोग इसकी कीमतों के चलते इलेक्ट्रिक गाड़ियां चाहकर भी नहीं खरीद पा रहे है।
लेकिन अब ऐसे लोगों के लिए एक खुशखबरी है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि अगले दो साल में इलेक्ट्रिक और पेट्रोल गाड़ियों की कीमत एक हो जाएगी। जल्द ही इस क्षेत्र में क्रांति आने वाली है।
गडकरी ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स और FY21 एजीएम के सालाना सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दो साल के अंदर इलेक्ट्रिक व्हीकल की लागत उस स्तर पर आ जाएगी जो उनके पेट्रोल वेरिएंट के बराबर होगी।
ईवी चार्जिंग सुविधाओं का विस्तार करने के लिए सरकार अभी प्रयासरत है। साल 2023 तक प्रमुख राजमार्गों पर 600 ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित किए जा रहे हैं। सरकार ये भी सुनिश्चित करना चाहती है कि चार्जिंग स्टेशन सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से संचालित हों।
कीमत में आएगी कमी
गडकरी ने आगे कहा कि फिलहाल इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत अधिक है क्योंकि उनकी संख्या अभी कम है। भारत ईवी क्रांति की उम्मीद कर रहा है, जिसमें 250 स्टार्टअप व्यवसाय लागत प्रभावी ईवी प्रौद्योगिकी निर्माण में लगे हुए हैं।
इसके अलावा प्रमुख वाहन निर्माता ईवी उत्पादन की लागत में कटौती करने की कोशिश में शामिल हो गए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी केवल 5% है और लिथियम-आयन बैटरी की लागत भी कम हो रही है।
ट्रांसपोर्ट का सबसे सस्ता ऑप्शन
उनका मानना है कि सस्ती प्रति किलोमीटर लागत के कारण भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की काफी बिक्री होगी। पेट्रोल से चलने वाली कार की कीमत प्रति किलोमीटर 10 रुपये, डीजल की कीमत 7 रुपये प्रति किलोमीटर और बिजली की कीमत सिर्फ 1 रुपये प्रति किलोमीटर है।
उन्होंने पारंपरिक ईंधन (गैसोलिन, डीजल) पर निर्भरता कम करने के लिए इथेनॉल और सीएनजी जैसे वैकल्पिक ईंधन के उपयोग पर जोर दिया।