लॉकडाउन 2.0 की गाइडलाइन: केंद्र सरकार के नियमों से चलेंगे राज्य या देंगे ज्यादा छूट?

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Lockdown: Discounts will be available from April 20, shops will see full list लॉकडाउन 2.0 की गाइडलाइन: केंद्र सरकार के नियमों से चलेंगे राज्य या देंगे ज्यादा छूट?

कोरोना संक्रमण के खिलाफ देश में लॉकडाउन का दूसरा फेज शुरू गया है, जो 3 मई तक जारी रहेगा. इस बीच केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की नई गाइडलाइन जारी की है और साथ ही 20 अप्रैल से कुछ जरूरी चीजों में सशर्त छूट देने के निर्देश दिए, जिसमें अब राज्य सरकारों के ऊपर निर्भर करेगा कि कैसे आगे कदम उठाएंगी. हालांकि, केंद्र ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकारें अपने क्षेत्रों में किसी भी तरह से लॉकडाउन से जुड़ी गाइडलाइंस में ढील नहीं देंगी. ऐसे में देखना होगा कि राज्य सरकारें किस तरह से लॉकडाउन में छूट की रियायतों को अपने प्रदेश में लागू करती हैं.

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में आम लोगों को आ रही दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए कुछ चुनिंदा गतिविधियों के लिए 20 अप्रैल से छूट देने का फैसला किया है. ऐसे में राज्य सरकार और जिला प्रशासन गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करते हुए इन गतिविधियों की इजाजत देंगे. इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं होगा कि लॉकडाउन में जिन क्षेत्र में छूट होगी उसमें राज्य सरकारें अपनी ओर से कुछ ज्यादा रियायत दें बल्कि उन्हें केंद्र के नियमों के लिहाज से ही चलना है.

लॉकडाउन में छूट की इजाजत देने से पहले राज्य सरकारों की जिम्मेदारी यह देखने की होगी कि जिन गतिविधियों को शुरू करने को कहा जा रहा है, उन सभी उद्योग, वर्क प्लेस और दफ्तरों में भी लॉकडाउन के लिए जारी निर्देशों का पालन करना जरूरी होगा. वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग जैसी तमाम तैयारियां हैं या फिर नहीं.

केंद्र सरकार ने जिन 20 क्षेत्र में छूट की इजाजत दी है राज्य सरकारों को उसी क्षेत्र में छूट देनी होगी. इसके अतरिक्त कोई अन्य छूट वो नहीं दे सकते हैं. राज्य सरकारों को लॉकडाउन का पालन कराने के लिए कलेक्टर स्थानीय एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को इंसीडेंट कमांडर के रूप में तैनात करेंगे. इंसीडेंट कमांडर ही सुनिश्चित करेंगे कि कैसे संसाधनों, मजदूरों और जरूरी सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना है.

राज्य सरकारें लॉकडाउन के छूट के नियम को हल्का नहीं कर सकती हैं बल्कि सख्त जरूर कर सकती हैं. हालांकि, केंद्र के द्वारा बनाए गए नए मोटर व्हीकल एक्ट के लागू करने के समय राज्य सरकारों ने अपने हिसाब से रियायतें दी थीं. इसके अलावा हाल ही में एनपीआर प्रक्रिया में कुछ राज्य सरकारों ने अपने हिसाब से इसे चलाने का ऐलान किया था. लेकिन, कोरोना के मामले में राज्य सरकारें अगर किसी तरह से अपनी ओर से कोई रियायत बरतती हैं और हालात खराब होते हैं तो जवाबदेही भी उन्हीं की होगी. माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के खतरों को देखते हुए राज्य सरकारें जोखिम भरा कदम उठाना पंसद नहीं करेंगी.

केंद्र से बुधवार को हरी झंडी मिलने के बाद राज्य सरकारों ने इस दिशा में प्लान बनाना और कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने 21 अप्रेल से प्रदेश में योजनाबद्ध तरीके से मॉडिफाइड लॉकडाउन लागू करने का ऐलान किया. साथ ही सीएम ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों और शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में 20 अप्रैल के बाद से औद्योगिक इकाइयों को शुरू करने के निर्देश दिए हैं. इससे प्रदेश में मौजूद प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार मिल सकेगा.

सीएम ने कहा है कि शहरी क्षेत्रों में ऐसे उद्योग जहां मजदूरों के लिए कार्यस्थल पर ही रहने की सुविधा उपलब्ध है उन्हें भी शुरू किया जाए. हालांकि इनमें बाहर से मजदूरों के आवागमन की अनुमति नहीं होगी. डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, जिला उद्योग केन्द्र और पुलिस समन्वय स्थापित कर यह सुनिश्चित करें कि लॉकडाउन के दौरान उद्योगों के शुरू होने में कोई परेशानी ना आए. इसके साथ ही मजदूरों और कर्मचारियों के आने-जाने में पास की व्यवस्था को सुगम किया जाए.

गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइड्लायन

सीएम ने निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक निर्माण विभाग और सिंचाई से संबंधित काम शुरू किए जाएं. सोशल डिस्टेंसिंग और स्वास्थ्य से संबंधित अन्य प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए मनरेगा कामों में तेजी लाई जाए. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों के लिए रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे. साथ ही सीएम ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के हॉटस्पॉट बन रहे जिन स्थानों पर कर्फ्यू लागू है वहां उसे सख्ती से लागू किया जाए. इन क्षेत्रों से किसी को भी आने-जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

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