नए साल के आगमन के साथ ही अब हरियाणा में पूर्व वर्तमान मुख्यमंत्री मंत्रियों ने रैलियों के माध्यम से डंका बजाने का मन बना लिया है। दरअसल, जल्द ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा राजनीतिक कार्यक्रमों के जरिये एक-दूसरे को चुनौती देते नजर आएंगे। जानकारी के मुताबिक जहां हर जिले में विकास की परियोजनाएं स्वीकृत करेंगे, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा प्रदेश में जनसुनवाई नहीं होने के आरोप लगाते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा करेंगे।
मुख्यमंत्री की जिलास्तरीय रैलियों की शुरुआत आठ जनवरी से कैथल से हो रही है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री 23 जनवरी को रणक्षेत्र कुरुक्षेत्र में सरकार से जवाब मांगते नजर आएंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साल 2022 के लिए जिस तरह विकास का एजेंडा तय किया है, उसी तरह विपक्ष खासकर हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र ने सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।
सुशासन, पर्यावरण, जल संरक्षण, जन कल्याण और रोजगार हरियाणा सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। करीब एक साल तक चले किसान संगठनों का आंदोलन खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री अब जिलों में जाकर विकास रैलियां करने वाले हैं। उनकी पहली रैली कैथल में होने के बाद नौ जनवरी को दूसरी रैली जींद के सफीदो में होगी। 15 जनवरी को सोनीपत और 16 जनवरी को हिसार जिले की रैलियां रखी गई हैं।
इन तमाम कारणों के चलते मुख्यमंत्री ने ऐसे गढ़ चुने हैं, जहां जाकर वह संदेश दे सकें कि उनके लिए विकास की प्राथमिकताएं तो मायने रखती ही हैं, लेकिन विपक्ष को विपक्ष के अंदाज में उन्हें जवाब देना भी आता है। मनोहर लाल सिरसा जिले के ऐलनाबाद में भी रैली करने का इरादा रखते हैं।
इसकी तारीख तय होनी बाकी है। इस राजनीतिक टकराव के लिए न केवल हुड्डा और मनोहर पूरी तरह से तैयार हैं, बल्कि दुष्यंत चौटाला ने भी फील्ड में उतरने की रणनीति तैयार कर ली है। इनेलो महासचिव अभय चौटाला भी तैयारी में हैं। इसके अलावा दीपेंद्र अपनी टीम के युवाओं को सामने कर आगे बढ़ रहे हैं। इन तमाम स्थितियों के चलते नया साल राजनीतिक रूप से काफी गरम रहने वाला है।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेताओं की चुनौती का जवाब देने के लिए जिला स्तरीय विकास रैलियों के लिए ऐसे स्थानों का चयन किया है, जहां हुड्डा समेत तमाम कांग्रेसियों को उनके ही अंदाज में जवाब दिया जा सके। इसके विपरीत किसान संगठनों के आंदोलन के दौरान कई दिनों तक जेल में रह चुके सांसद दीपेंद्र हुड्डा इस चुनौती का जवाब देने की तैयारी में हैं। कैथल पूर्व मंत्री रणदीप सुरजेवाला का इलाका माना जाता है। हालांकि यहां से भाजपा के विधायक भी चुनकर आए हैं। जींद जिला पहले ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ होता था। यहां दूसरी बार भाजपा ने कमल खिलाया है।
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