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3 मामाओं ने 2 कट्टे नोट भरकर दिया बहन का भात, लोगो को गिनने में लगे काफी घंटे

जैसे कि आप सभी को पता ही है कि शादियों का सीजन चल रहा है और भारत में शादियों का अपना एक विशेष महत्व होता है। हमारे देश में हर राज्य में अपने अलग अलग तरीके अलग-अलग रीति रिवाज से शादी होती हैm सभी लोगों की अपनी अपनी परंपरा होती है। ऐसी ही एक परंपरा राजस्थान में है जोकि  मायरे भरने की है। आप सोच रहे मायरा क्या होता है , तो आपको बता दें मायरे यानी भात होता है। राजस्थान इसके लिए प्रसिद्ध है। इसके नागौर जिले में एक विशेष तरीके से मायरा भरा गया।

आपको बता दें यह मायरा इस तरह भरा गया कि यह सुर्खियों का विषय बन गया। आपको बता दें जिस मायरे की हम बात कर रहे हैं वह नागौर जिले में भरा गया। यहां पर तीन मामा अपने भांजे की शादी में दो बोरे नोट लेकर पहुंचे। वह अपने भांजे की शादी के लिए 2 साल पैसा जमा कर रहे थे।

3 मामाओं ने 2 कट्टे नोट भरकर दिया बहन का भात, लोगो को गिनने में लगे काफी घंटे3 मामाओं ने 2 कट्टे नोट भरकर दिया बहन का भात, लोगो को गिनने में लगे काफी घंटे

जब उसने मायरे की टोकरी में 10 10 के नोटों को रखा तो वह नोट कुल मिलाकर सवा छह लाख रुपए हुए। इन नोटो को गिनने के लिए 5 लोगों को 3 घंटे से ज्यादा का समय लगा। बता देंगे यह अनदेखा मायरा नागौर जिले के देशवाल गांव में भरा गया। इस शादी में एक अनोखे अंदाज से शादी की रस्में अदा की गई।

आपको बता दें जिन मामा ने यह मायरा भरा है वह खेती-बाड़ी करते हैं। उन्होंने सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि सोने चांदी के आभूषण भी दिए हैं। उन्होंने अपनी हैसियत से बहुत बढ़ कर मायरे को भरा है। जो की सुर्खियों का विषय बन गया।

आपको बता दें नागौर मैं रहने वाली सीपू देवी के बेटे हिम्मत राम की शादी थी। सिपू देवी के तीन भाई भात लेकर पहुंचे थे। डेगाना में रहने वाले रामनिवास जाट, कानाराम जाट और शैतान राम जाट ने अपनी बहन सीपू देवी के यहां एक अलग अंदाज में मायरा भरा। यह तीनों भाई भात में दी जाने वाली नगद राशि प्लास्टिक के थैलों में भर कर लाए थे।

इन थेलो से नोटों को टोकरी में डालने के बाद आठ मौजूद लोगों ने नोटों की गिनती शुरू की। करीब 3 घंटे में उन्होंने नोटों की गिनती खत्म की।  वह कुल सवा छह लाख रुपए थे। इस दौरान शादी में आए सभी लोग इंतजार कर रहे थे कि आखिर मायरे में आई हुई नगदी कितनी है।

राजस्थान में भांजे या भांजी की शादी में मामा अपनी बहन के यहां भात भरने के लिए आता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। देश में मुगल शासन के समय यहां के खियाला और जायल के जाटों द्वारा लिछमा गुजरी को अपनी बहन मानकर भरे गए मायरे को महिलाएं लोकगीत में भी गाती हैं। इसी वजह से नागौर का मायरा काफी प्रसिद्ध है।

Kunal Bhati

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