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जानिए क्या होता है एक IAS और IPS अधिकारी में अंतर, किसके पास होती है ज्यादा शक्तियां

जैसा की आप सभी को पता ही है कि यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन एग्जाम यानी यूपीएससी का एग्जाम भारत का सबसे कठिन एग्जाम माना जाता है। इस एग्जाम को पास करने के बाद ही आईएएस, आईपीएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी का चयन होता है। इन सभी कार्यों के काम अलग-अलग होते हैं। और यह अपनी अलग-अलग भूमिकाएं निभाते हैं। आज हम आपको बताने वाले हैं कि आईएएस और आईपीएस में क्या अंतर होता है। और इन दोनों में से कौन ज्यादा पावरफुल होता है।

आपको बता दें यूपीएससी मैंस एग्जाम का रिजल्ट आने के बाद कैंडिडेट को एक डिटेल एप्लीकेशन फॉर्म भरना होता है। जिसके आधार पर पर्सनैलिटी टेस्ट होता है। कैंडिडेट फॉर्म में जैसी जानकारी भरता है, उसी के आधार पर इंटरव्यू में उससे सवाल पूछे जाते हैं।

इंटरव्यू में मिले नंबरों को जोड़कर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। और इसी आधार पर ऑल इंडिया रैंकिंग तय की जाती है। कैटेगरी के हिसाब से राइटिंग तैयार होती है और रैंकिंग के आधार पर उन्हें पोस्ट दी जाती है।

टॉप की रैंक वालों को आईएएस की पोस्ट मिलती है। लेकिन कई बार टॉप रैंक पाने वालों का प्रेफरेंस आईपीएस या आईआरएस होता है। तो निचले रैंक वालों को आईएएस की पोस्ट मिल जाती है। इसके बाद के रैंक वालों को आईपीएस और आईएएस पोस्ट मिलती है।

जब आईएएस और आईपीएस का चयन हो जाता है, उसके बाद इनकी ट्रेनिंग की शुरुआत होती है। जो कि मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में फाउंडेशन कोर्स से होती है। इसमें सिविल सेवा के लिए चुने गए सभी कैंडिडेट्स को 3 महीने की ट्रेनिंग मिलती है।

इस कोर्स में बेसिक एडमिनिस्ट्रेटर्स के सिखाए जाते हैं। जिन्हें जानना हर सिविल सेवा अधिकारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एकेडमी के अंदर कुछ खास एक्टिविटीज भी कराई जाती हैं, जिससे मेंटल और फिजिकल मजबूती के लिए हिमालय की कठिन ट्रैकिंग एक है।

इतना ही नहीं इसके अलावा सभी अफसरों के लिए इंडिया डे भी आयोजित कराया जाता है। जिसमें सभी अपने अपने राज्य की संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं। इसमें सिविल सेवा अधिकारी पहनावे, लोकनृत्य या फिर खाने के जरिए देश की विविधता में एकता दिखाते हैं।

इसके अलावा अधिकारियों को विलेज विजिट की ट्रेनिंग भी दी जाती है। और इस समय सभी अफसरों को देश के किसी सुदूर गांव में जाकर 7 दिन रहना होता है। जिसमें उन्हें गांव की जिंदगी पर हर पहलू को बारीकी से समझ ना होता है। सिविल सेवा अधिकारी का गांव के लोगों के अनुभव और उनकी समस्याओं से सामना होता है।

आईएएस और आईपीएस की ट्रेनिंग दोनों काफी अलग होती है। 3 महीने की फाउंडेशन ट्रेनिंग के बाद आईपीएस अधिकारियों को हैदराबाद से सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अधिकारी भेज दिया जाता है। जहां उन्हें पुलिस की ट्रेनिंग भी दी जाती है।

आईपीएस को चयन के बाद ज्यादा कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। उनकी ट्रेनिंग में घुड़सवारी, परेड और हथियार चलाना शामिल होता है। वही आईएएस ट्रेनिंग लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकैडमी आफ एडमिनिस्ट्रेशन में ही रह जाता है। इसके बाद आईएएस अधिकारी की प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू होती है। और एडमिनिस्ट्रेशन व गवर्नमेंट के हर सेक्टर की जानकारी दी जाती है।

आपको बता दे, बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के अनुसार, आईएएस अधिकारियों की जिम्मेदारियों में एक क्षेत्र / जिले / विभाग का प्रशासन शामिल होता है। उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने की आवश्यकता होती है।और उन्हें सभी नीतियों को लागू करने के साथ-साथ महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए कार्यकारी शक्तियां दी जाती हैं।

अगर बात करे आईपीएस अधिकारियों की, तो उन्हों को अपराध की जांच करनी होती है और उस क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखना होता है।जहां वह तैनात होते हैं। एक आईएएस अफसर का कोई ड्रेस कोड नहीं होता और वे फॉर्मल ड्रेस में रहते हैं।

वहीं आईपीएस अधिकारी ड्यूटी के दौरान वर्दी पहनते हैं। आईएएस अधिकारी को पोस्ट के अनुसार, बॉडीगार्ड मिलते हैं, जबकि आईपीएस के साथ पूरी पुलिस फोर्स चलती है।

आईएएस और आईपीएस की जिम्मेदारियां और पावर्स बिल्कुल अलग होती हैं। आईएएस अधिकारियों को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग व कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय नियंत्रित करती है।

वहीं दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्रालय आईपीएस कैडर को नियंत्रित करती है। आईएएस अधिकारी का वेतन आईपीएस अधिकारी की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक होता है।

इसके साथ ही, एक क्षेत्र में केवल एक आईएएस अधिकारी होता है जबकि एक क्षेत्र में आईपीएस अधिकारी की संख्या आवश्यकता के अनुसार होती है।कुल मिलाकर, आईएएस अधिकारी का पद वेतन और अधिकार के मामले में एक आईपीएस अधिकारी से बेहतर होता है।

तो यह होता है एक आईएएस आई आईपीएस में अंतर। और आईएएस आईपीएस अधिकारी से ज्यादा बेहतर होता है।

Kunal Bhati

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