हमारे समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो लड़कों आगे और लड़कियों को पीछे समझते है। लेकिन लड़कियों आज के समय में ऐसे काम करती हैं, जिनसे उनके मुंह बंद हो जाते हैं। आज के समय में लड़कियां आईएएस आईपीएस से लेकर हर एक पद पर पहुंच चुकी है। वह किसी भी काम में पीछे नहीं है। चाहे देश संभालना हो या घर वह हर काम में सक्षम है। ऐसी ही एक सफल महिला आरती डोगरा की कहानी हम आपको आज बताने वाले हैं। जिसने परिवार के ताने भी सहे, समाज की बातें भी सही। लेकिन आज वह आईएएस के पद पर पहुंच चुकी है। यह जानते हैं इसकी सफल और प्रेरणादायक कहानी।
बता दे, आरती डोगरा आज राजस्थान कैडर की आईएएस अफसर बन चुकी है। आरती का कद भले ही छोटा हो, मगर आज वह देश भर की महिला आईएएस के प्रशासनिक वर्ग में मिसाल बन कर निकली है।
उत्तराखंड के देहरादून की आरती डोगरा साल 2006 बैच के आईएएस अफसर है। उनका कद मात्र 3 फुट 3 इंच है। जिसके चलते उनको बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था।
समाज के कुछ लोग लड़कियों को आज भी बोझ समझते हैं और उसमें भी अगर लड़की दिव्यांग निकल जाए, तो उसे बहुत गंदी दृष्टि से देखा जाता है। और कहा जाता है कि आखिर इसके मां-बाप इसे क्यों पाल रहे हैं इसे मार क्यों नहीं देते। लेकिन आरती ने उन सब समाज के लोगों के मुंह पर ताला लगा लगा दिया है।
आरती ने भी बहुत कुछ सहा था। समाज के लोग उसका हंसी मजाक उड़ाया करते थे और उसके मां-बाप से समाज के लोगों ने यह तक कह डाला था कि लड़की बहुत है उसे मार डालो। लेकिन उसके मां-बाप ने उसका साथ दिया और समाज की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने अपनी बेटी को खूब पढ़ाया लिखाया और आज इस काबिल बनाया कि वह आईएएस अफसर बन गई है। आरती अपने कार्यालय में बड़े-बड़े काम करती है। फिलहाल उन्हें राजस्थान के अजमेर के नए जिलाधिकारी के तौर पर नियुक्ति मिली है। इससे पहले वह एसडीएम अजमेर के पद पर प्रस्थावित रही रह चुकी है।
इससे पहले आरती राजस्थान के बीकानेर और बूंदी जिले में कलेक्टर भी रह चुकी हैं इससे पहले वह डिस्कॉम की मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर भी रही थी। बीकानेर की जिला अधिकारी के तौर पर बंको बिकाणो नामक अभियान की शुरुआत की थी। इसमें लोगों को खुले में शौच ना करना पड़े इसके लिए उन्होंने गांव जाकर लोगों को खुले में शौच करने से मना किया और पक्के शौचालय भी बनवाए।
वह इस चीज की मॉनिटरिंग मोबाइल्स के जरिए करती थी। 195 ग्राम पंचायतों तक सफलतापूर्वक चलाया गया। बंको बिकाणो की सफलता के बाद आसपास के जिलों में भी यह तकनीक अपनाई गई। आरती डोगरा को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी मिला था।
इसके अलावा आरती जोधपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी रही। आरती डोगरा ने पद ग्रहण करने के बाद कहा कि जोधपुर डिस्कॉम में फिजूल खर्ची, बिजली बर्बादी पर नियंत्रण के लिए जूनियर इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर तक की जिम्मेदारी तय की जाएगी। दूरदराज में जहां बिजली नहीं है। वहां बिजली पहुंचाने के सभी प्रयास किए उनके द्वारा किये गए।
इसके अलावा बिजली बचत के लिए उन्होंने जोधपुर डिस्कॉम में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड द्वारा उन्होंने 327819 एलईडी बल्ब का वितरण करवाया था। जिससे बिजली की खपत में खुद ब खुद नियंत्रण आ जाएगा।
बता दें कि उनके पिता कर्नल राजेन्द्र डोगरा सेना में अधिकारी हैं और मां कुमकुम स्कूल में प्रिसिंपल हैं। उनका कहना था कि मेरी एक ही बेटी काफी है जो हमारे सपनें पूरे करेगी। आरती की स्कूलिंग देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में हुई थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद यूपीएससीआर की तैयारी की |
आपको बता दे, इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए वो वापस देरहरादून चली आयीं। यहां उनकी मुलाकात देहरादून की DM IAS मनीषा से हुई। जिन्हीने उनकी सोच को पूरी तरह बदल किया। आरती उनके इतनी प्रेरित हुई कि उनके अंदर भी IAS का जुनून पैदा हो गया।
उन्होंने इसके लिए जमकर मेहनत की और उम्मीद से भी बढ़कर अपने पहले ही प्रयास में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू भी पास कर लिया। आरती नें साबित कर दिया कि दुनिया चाहे कुछ भी कहे, कुछ भी सोचे आप आने काबिलियत के दाम पर सबकी सोच बदल सकते हैं।
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