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क्या बॉलीवुड का होने वाला है अंत, क्योंकि लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है साउथ की हिंदी डब फिल्में

आज के समय में हम देख सकते हैं बॉलीवुड इंडस्ट्री से ज्यादा साउथ इंडस्ट्री की फिल्में हर जगह देखने को मिलती हैं। चाहे छोटा सा सलून हो या भोजनालय हर जगह पर यह फिल्में बढ़ती जा रही है। इन दिनों साउथ की फुल स्पीड में चलती हुई कहानियां, एक्शन, कॉमेडी और इमोशन से भरी फिल्में बॉलीवुड से ज्यादा पसंद की जा रही है। चाहे टीवी चैनलों पर चाहे यूट्यूब पर इन फिल्मों का चस्का लोगों को ज्यादा लग रहा है। साउथ की फिल्में थिएटर में भी छाती जा रही है।

अगर बात करें पहले की तो उस समय में साउथ की बहुत कम फिल्में हिंदी में बदली जाती थी। लेकिन अगर बात करें वर्तमान की तो इन दिनों साउथ की लगभग हर फिल्म हिंदी भाषा में आ रही है। जिस वजह से वे थिएटर में जबरदस्त कमाई कर रही है।

आपको बता दें चाहे उस फिल्म का की स्टार कास्ट के कोई खास फैन फॉलोइंग हो ना हो लेकिन यह सारी फिल्में खूब कमा रही हैं। बाहुबली के दोनों पार्ट, काबली, रोबोट, केजीएफ, जय भीम और पुष्पा द राइज जैसी फिल्मों ने तो हिंदी क्षेत्रों में खूब लोगो को लुभाई है।

आपको बता दें अब उत्तर भारत के दर्शक मोटी रकम खर्च करने के बावजूद भी दक्षिण में डब मूवी को हिंदी में देखना चाहते हैं। दक्षिण की हाल की रिलीज हुई फिल्मों की लोकप्रियता इस बात की गवाही देता है। तेलुगू सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पराज हो या धनुष की अतरंगी रे, जिनके हिंदी वर्जन ने बहुत कामयाबी हासिल की है।

आपको बता दें उत्तर भारत के कई सिनेमाघरों में बॉलीवुड की बड़े बजट की मूवी 83 को उतार कर फिर से पुष्पराज को लगा दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि साउथ की फिल्मों में ऐसा क्या है जो इनकी हिंदी भाषा को इतना पसंद किया जा रहा है। जबकि साउथ की भाषा, संस्कृति, पहनावा आदि उत्तर से काफी अलग है।

आपको बता दें इन दिनों  साउथ की बहुत सारी ऐसी फिल्मों की हिंदी डबिंग करने की तैयारी की जा रही है,  जो कभी थियेटर में नहीं दिखाई  जाती थी, बल्कि सिर्फ टीवी पर दिखाई जाती थी।

इन दिनों साउथ फिल्मों की डबिंग बॉलीवुड के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। फिल्म पुष्पा ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि, यदि कंटेंट में दम है तो हिंदी चेहरा फिल्म के लिए कोई जरूरी नहीं है।

अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो दक्षिण के सुपरस्टार का दबदबा बढ़ जाएगा। इसे बॉलीवुड का रीमेक फॉर्मूला पूरी तरह खत्म हो जाएगा। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि साउथ सिनेमा बॉलीवुड पर कितना भारी पड़ता है।

Kunal Bhati

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