30 से 40 हजार मोबाइल की दुकानें अगले 6 महीनों में बंद हो सकती हैं :- मोबाइल कंपनियों को लेकर इस तरह के आरोप पहले भी लगते आ रहे हैं। लेकिन अब तक स्थिति पहले से ज्यादा खराब है तो जाहिर है आवाज़ भी उठेंगी। वहीं इस बारे में जब हमने रिटेलर्स से बात की तो उन्होंने भी अपना दर्द बयां किया।
दिल्ली के एक मोबाइल रिटेलर का कहना था कि “जिसे आप नंबर एक का ब्रांड कहते हैं पिछले 3 महीने से हमें उसका कोई भी स्टॉक नहीं मिला है।
ऐसा नहीं है कि उनके लोग आते नहीं है वो रेडमी नोट 9 प्रो और इस रेंज के दूसरे फोन को देने के बजाए मी10 बेचने की बात कहते हैं और मोबाइल एक्सेसेरीज लेने की बात कहते हैं। हाई डिमांड वाले फोन हमें नहीं दे रहे हैं वे सिर्फ ऑनलाइन में बिक रहे हैं।”
मोबाइल की दुकानें चल रही घाटे में
सबसे पहले कोरोना और फिर भारत चीन बोर्डर समस्या ने भारतीय मोबाइल रिटेलर्स के लिए बड़ी समस्या पैदा कर दी है। सूत्रों की मानें तो आने वाले कुछ महीनों में लगभग 35 से 40 हजार तक मोबाइल दुकानें बंद हो जाएंगी।
इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना इसका मुख्य कारण है लेकिन जानकार इसके पीछे मोबाइल निर्माताओं की भी बड़ी गलती मान रहे हैं। इस बारे में ऑल इंडिया मोबाइल रिटेल एसोसियेशन के नेशनल प्रेसिडेंट, अरविंदर खुर्राना ने कहा कि, मोबाइल निर्माता ऑनलाइन और ऑफलाइन में काफी भेद भाव कर रहे हैं।
ऑनलाइन और ऑफलाइन में टकराव
उन्होंने यह भी कहा की, “ऐसे में भारतीय मोबाइल रिटेलर्स को दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर कोरोना की वजह से जहां कई दिनों तक दुकानें बंद रखनी पड़ी वहीं मोबाइल निर्माता अब रिटेलर्स को फोन भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
यह बात सच है कि कोरोना की वजह से सभी मोबाइल कंपनियों में प्रोडक्शन 100 फीसदी नहीं हो पा रहा है लेकिन जो भी प्रोडक्शन हो रहा है उसे ऑनलाइन के माध्यम से बेच दिया जा रहा है और ऑफलाइन रिटेलर्स सिर्फ इंतजार कर रहे हैं।”
हालांकि उन्होंने कहा कि
“यह सिर्फ शाओमी का हाल नहीं है बल्कि रियलमी सहित कुछ दूसरे ब्रांड भी यही कर रहे हैं। रीटेल स्टोर पर फोन देने के बजाए ऑनलाइन को तवज्जो दे रहा है। रियलमी एक फोन के साथ कई एक्सेसरीज लेने की बात करता है।”
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मोबाइल कंपनियों को भी चाहिए कि ऑफलाइन रिटेल और ऑनलाइन में ज्यादा भेद-भाव न करें। मार्जिन कम ही सही लेकिन फोन वहां भी उपलब्ध कराये
प्रोडक्शन कम है तो थोड़ा ऑनलाइन और थोड़ा ऑफलाइन में यूनिट दे क्योंकि ये बात बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए कि भारत में मोबाइल बाजार की दशा और दिशा ऑफलाइन रिटेलर्स ही तय करते हैं।
रिटेलर का कहना है कि,
वहीं दिल्ली के करोलबाग के एक रिटेलर का कहना है कि,
मेरे पास शाओमी/रियलमी दोनों फोन बिकते हैं लेकिन आज डिवाइस नहीं है। वहीं आप बगल में स्थित गफ्फार मार्केट में चले जाएं ऑनलाइन से फोन खरीदकर वे ब्लैक में बेच रहे हैं लेकिन हमारे पास नहीं है।
करोलबाग के एक रिटेलर
इस बारे में राजस्थान के रिटेलर का कहना था कि
“हालात बद से बदतर होने लगे हैं। जिन फोंस की मांग है वो मिल नहीं रहे है जिन फोंस को लोग लेना नहीं चाहते उन्हें फोर्सली रिटेलर्स को शौंपा जा रहा है। यहां पर मैं वीवो की बड़ाई जरूर करूंगा कंपनी ने ऑफलाइन रिटेलर्स का पूरा ख्याल रखा है और डिवाइस समय पर भी मिल रहे हैं।
दूरसंचार कंपनियों को सस्ते कर्ज दिए जा सकते हैं
सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने 26 जून को लिखे पत्र में यह भी कहा है,
हम निवेदन करते हैं कि सीमांत लागत पर आधारित ब्याज दर पर दूरसंचार कंपनियों को सस्ते कर्ज दिए जा सकते हैं। इसके लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के इनपुट क्रेडिट को गिरवी रखा जा सकता है।
” मैथ्यूज ने कहा, “स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) की प्रभावी दर को सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए तीन प्रतिशत कम किया जाना चाहिए। इसके अलावा लाइसेंस शुल्क योगदान को तुरंत आठ प्रतिशत से घटाकर तीन प्रतिशत किया जाना चाहिए।
” रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया, भ्जारती एयरटेल, नोकिया, एरिक्सन, स्टरलाइट, इंडस, सिस्को, फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी कंपनियां सीओएआई की सदस्य हैं।
ऐसी शिकायत हमें पहले भी मिली है। वहीं ऑल इंडिया मोबाइल रिटेल एसोसियेशन द्वारा इस तरह का आरोप लगाना कोई आम बात नहीं है।
पहले भी यह संस्था ऑफलाइन रिटेर्ल के लिए आवाज़ उठाती आई है लेकिन इस बार संस्था ने काफी डरावने संकेत दिए। क्योंकि 35-40 हजार शॉप्स बंद हो जाना कोई मामूली बात नहीं है।
Written By- Prashant K Sonni