वैसे तो भारत में कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। लेकिन कुछ त्योहारों को लेकर लोगों के मन में अलग ही उत्सुकता होती है। होली भी उन त्योहारों में से एक है। इस त्यौहार को लोग बड़े मजे से मनाते हैं। हिंदू पंचांग के हिसाब से हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन हर बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन भी करते हैं। होलिका दहन के अगले दिन लोग रंगों और फूलों से खुशियों भरा त्यौहार मनाते हैं।
जैसा की आप सभी को पता ही होगा, इस वर्ष होलिका दहन 17 मार्च को है और रंगो वाली होली उसके अगले दिन यानी 18 मार्च को है। हमेशा होली से 1 दिन पहले ही होलिका दहन बनाया जाता है।
आपको बता दे, इसको लेकर लोगों की अलग-अलग राय होती हैं। ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, होलिका दहन की पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। कुछ खास लोगों को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए।
अगर आपको अभी तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त नहीं पता है। तो आइए हम आपको बता देते हैं, इसका पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 09 बजकर 06 मिनट से रात 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार होलिका दहन का समय 01 घंटा 10 मिनट्स है। इस दौरान भद्रा पूंछ रात 09 बजकर 06 मिनट से रात 10 बजकर 16 मिनट तक है। वहीं भद्रा मुख रात 10 बजकर 16 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक है।
होलिका दहन को लेकर सभी लोग बहुत खुश होते हैं। रात भर जाग कर कुछ लोग होलिका को पूरा जलता हुआ देखना पसंद करते हैं। कुछ लोग होलिका दहन को देखने के बहुत फायदे बताते हैं और होलिका दहन के बाद उसकी राख को घर लाकर रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, ज्योतियाचार्यो के अनुसार हर किसी के लिए होलिका देखना शुभ नहीं होता।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार नवविवाहित स्त्रियों को जलती हुई होलिका नहीं देखनी चाहिए। वह चाहे तो होलिका जलने से पहले उसकी पूजा कर सकती है लेकिन जब होलिका दहन शुरू हो जाए तो है उसे ना देखें। इसकी वजह होलिका की अग्नि है। ऐसा माना जाता है कि होलिका का दहन में आप अपने पुराने साल को जला रहे होते है।
मतलब आप अपने पुराने साल के शरीर को जला रहे हैं। एक तरह से होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना गया है। ऐसे में नवविवाहित कन्याओं का होलिका की जलती हुई अग्नि को देखना अशुभ माना जाता है।
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