दिल्ली एनसीआर में वाहन एस्क्रैप निधि को सख्ती से लागू करने के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है, 1 अप्रैल से 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने वाहनों को सड़क से हटाकर स्क्रेपिंग के लिए भेजा जाएगा। मौजूदा हालत में इस नीति के ऊपर अब बड़े आंदोलन की तैयारी दिल्ली एनसीआर परिवहन संघ के द्वारा की जा रही है। इस नई नीति को लेकर सभी को ऐतराज है। दिल्ली एनसीआर परिवहन संघ ने कहा है
कि अगर 10 साल से 15 साल पुराने वाहनों को प्रदूषण फैलाने की वजह से सड़कों से हटाया जा रहा है, तो सरकार को उन पुराने वाहनों में सीएनजी लगाकर चलाने की अनुमति दे देनी चाहिए। जिससे यह समस्या जड़ से खत्म होगी और गाड़ियों की उनकी हालत जानने से उसे सर्विस के लिए भेजना चाहिए। और गाड़ियों के सही हालत में होने पर उस में सीएनजी किट लगाकर चलाने की अनुमति दे देनी चाहिए। जिससे आम जनता भी परेशान ना हो क्योंकि आम जनता द्वारा सोशल मीडिया पर पॉलिसी को आड़े हाथ से ले रहे हैं ।
परिवहन संघ का कहना है कि यदि अगर गाड़ियों की सही तरीके से रखा गया हो तो गाड़ियों की बॉडी में किसी तरह की समस्या नहीं आती। सही तरीके से गाड़ियों को रखने पर काफी साल निकाल देती हैं और 10 साल में उनका कुछ नहीं बिगड़ता। यदि पुराने वाहनों को समस्या प्रदूषण बढ़ना है तो उसके लिए सीएनजी किट का विकल्प गाड़ियों को चलाया जा सकता है।
इस नई ट्रांसपोर्ट नीति में कबाड़ नीति का फायदा केवल ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए ही किया है, ताकि उनकी जेब भरी रहे ।यदि इस नीति को लेकर सरकार ने अपनी राय नहीं बदली तो ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि इस व्यवसाय से भारत में लगभग 30 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं इस नीति को वजह से जो दिल्ली एनसीआर परिवहन संघ एक लंबे समय तक हड़ताल पर जा सकता है
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