जैसा की आप सभी को पता ही है कि, फिल्मों में 2 लोग सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। जिसमें से एक हीरो होता है और एक विलन होता है। ऐसे ही एक विलन के बारे में हम आपको आज बताने वाले हैं, जो कि अपनी अनोखी संवाद अदायगी के लिए जाने जाते थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के प्रसिद्ध खलनायक अजीत खान की। बता दें उनका जन्म 27 फरवरी 1922 को हैदराबाद में हुआ था। उनका असली नाम हामिद अली ख़ान था।
फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर अजीत कर लिया। इन्होंने 200 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है। इन्हें अपनी असली पहचान फिल्म कालीचरण से मिली थी।
अजीत ने जब पर्दे पर अपना मशहूर डायलॉग “पूरा शहर मुझे एक शेर के रूप में जानता है” बोला तो उनकी इस बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी की लोगों ने खूब तारीफें की। अजीत सिंह बॉलीवुड के एक ऐसे विलन थे, जिन्होंने अभिनय में हर बार फिल्म के हीरो को मात दी।
आपको बता दें कि, आज भी लोग इनके दो और डायलॉग को दोहराते हुए नजर आते हैं, वो हैं ‘लिली डोंट बी सिली’ और ‘मोना डार्लिंग’। ये ऐसे डायलॉग है जो सिर्फ अजीत की आवाज पर फिट बैठते थे। आपको बता दे, यह खलनायक बैक्पन में अपने घर से भागकर मुंबई आ गया था।
अगर यह बचपन में घर से भागकर मुंबई न आते तो शायद हिंदी सिनेमा को कोई दिग्गज कलाकार न मिलता। अभिनेता बनने का सपना संजोते हुए अजित को बचपन से ही अभिनय का शौक था। कहा जाता है कि अजीत ने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपनी किताबें भी बेच दी थीं।
यह घर से भागकर मायानगरी आ गए, लेकिन उस समय न रहने की जगह थी और न ही खाने के लिए खाना । ऐसे में उसने अपना सिर छुपाने के लिए अभिनेता ने सीमेंट के पाइप में अपना ठिकाना बना लिया। लेकिन परेशानी यहीं नहीं रुकी।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो, स्थानीय गुंडे पाइप में रहने वाले लोगों से एक हफ्ते रंगदारी वसूल करते थे। अगर पैसे नहीं देने पर मारपीट करते थे। एक दिन अजीत ने गुंडों को पीटा और वहां रहने वाले लोगों के लिए हीरो बन गया।
आपको बता दे, अजीत कभी भी फिल्मी पर्दे पर विलेन नहीं बनना चाहते थे, उन्होंने सिर्फ हीरो बनने का सपना देखा था। अजीत ने शुरूआती दौर में कुछ फिल्मों में बतौर हीरो काम भी किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और वे विलेन के रोल में उतरते ही मशहूर हो गए।
अजीत ने अपने शानदार अभिनय से हिंदी सिनेमा में अपने किरदारों को हमेशा के लिए अमर कर दिया। अजित की पर्सनैलिटी ऐसी थी कि पर्दे पर आते तो छा जाते। नया दौर, यादों की बारात, नास्तिक, कालीचरण जैसी फिल्मों में शानदार अभिनय करने वाले अजीत ने 22 अक्टूबर 1998 को दुनिया को अलविदा कह दिया।
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