Categories: OthersUncategorized

50 लाख साल पुराना हाथी का मिला जीवाश्म, लोग देख कर हतप्रभ

भारत और यहाँ रहने वाले इंसान और जानवर इतने प्राचीन हैं कि सोचते – सोचते व्यक्ति दूसरे युग में प्रवेश कर जाएगा | उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के शिवालिक वन प्रभाग के बादशाही बाग रेंज के डाठा सोत से हाथी का जीवाश्म मिला है। प्राचीन जैव विविधता को समझने के सिलसिले में उत्तर प्रदेश को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है |

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के वैज्ञानिकों ने इसे 50 लाख साल पुराना माना है। जो जीवाश्म मिला है, वह हाथी का जबड़ा है। इस हाथी के पूर्वज को स्टेगोडॉन कहते हैं | सहारनपुर वन वृत और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया की ओर से छह महीने तक कराए गए विशेष सर्वेक्षण के दौरान यह जीवाश्म मिला था। हाथी का इतना पुराना जीवाश्व उत्तर प्रदेश में पहली बार मिला है।

50 लाख साल पुराना हाथी का मिला जीवाश्म, लोग देख कर हतप्रभ

हाथी के इस 50 लाख वर्ष पुराने जीवाश्म से जैव विविधता को समझने में आसानी होगी, साथ ही बहुत सी बातें भी सामने आएँगी | सहारनपुर जनपद के अंर्तगत शिवालिक वन प्रभाग सहारनपुर का वन क्षेत्र 33,229 हेक्टेयर है | गत 6 महीनों से इसमें वन्य जीवों की गणना का कार्य चल रहा है |

इस दौरान वन्य जीवों की दुर्लभ तस्वीरें ली गई हैं | कैमरा ट्रैप में पहली बार 50 से अधिक तेंदुओं की शिवालिक में मिलने की पुष्टि भी हुई है । वन्य जीवों के जब कैमरे से उत्साहित प्रमाण मिले तो फिर विशेष सर्वे डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ शुरू किया गया। जिसमें उनके साथ डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया देहरादून के डॉ. आईपी बोपन्ना, देववृत पंवार और अन्य शामिल रहे।

वन हो या आम जमीन उनकी खुदाई में भारत के अंदर ऐसी प्राचीन वस्तुएं बहार निकल कर आती है, जिस से सभी हैरान हो जाते हैं | सर्वे के दौरान बादशाही बाग रेंज से तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर डाठा सोत के पास एक जीवाश्म मिला। इस जीवाश्म का अध्ययन वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के वैज्ञानिकों से कराया गया

जिसमें संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आरके सहगल और डॉ. एसी नंदा मौजूद रहे। अध्ययन के बाद बताया गया कि जीवाश्म हाथी के पूर्वज का है, दाईं ओर के जबड़े का और करीब 50 लाख वर्ष पुराना है। वैज्ञानिक भाषा में इसे स्टेगोडॉन कहते हैं, जो वर्तमान में विलुप्त हो चुके हैं। उत्तर भारत में हाथी के पूर्वज का इतना पुराना जीवाश्म शायद ही कहीं मिला होगा।

भारत में हाथियों को पूजा जाता है | जिस प्रजाति का जीवाश्म मिला वो स्टेगोडॉन पर 13 जनवरी 1951 को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण शताब्दी के स्मरणोत्सव पर भारतीय डाक टिकट जारी किया गया था, जिसमें स्टेगोडॉन गणेशा को दिखाया गया था |

डाक टिकट हेनरी फेयरफील्ड ओसब्रोन द्वारा प्रोबोसिडिया में प्रकाशित तस्वीर पर आधारित है | इस टिकट के जरिये दुनिया के हाथियों की खोज, विकास, प्रवास और विलुप्त होने को लेकर वन्यजीव प्रेमियों की चिंता को भी जाहिर किया गया था |

Written By – Om Sethi

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…

2 months ago

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…

2 months ago

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…

2 months ago

पुलिस का दुरूपयोग कर रही है भाजपा सरकार-विधायक नीरज शर्मा

आज दिनांक 26 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने बहादुरगढ में दिन…

2 months ago