चंडीगढ़ पर अपना अधिकार मानने वाली पंजाब सरकार को हरियाणा मुख्यमत्री मनोहार लाल खट्टर ने करारा जवाब दिया है दरअसल पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ को तत्काल राज्य को हस्तांतरित करने की मांग करने वाला प्रस्ताव शुक्रवार को पारित कर दिया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के साथ ही साझा संपत्तियों में संतुलन बिगाड़ने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ के कर्मचारियों की मांग और उनके हित में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का निर्णय लिया है। पंजाब सरकार इस मसले पर जनता को गुमराह कर रही है। चंडीगढ़ दोनों राज्यों हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और रहेगी भी। दोनों राज्यों के बीच केवल चंडीगढ़ का ही मसला नहीं है बल्कि कई मुद्दे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में चंडीगढ़ को लेकर पेश किए गए प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। हुड्डा का कहना है कि पंजाब सरकार बेवजह दोनों राज्यों के भाईचारे में दरार डालना चाहती हैं। चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी थी,
है और रहेगी। शाह कमीशन ने भी कहा था कि चंडीगढ़ पर पहला हक हरियाणा का है अगर पंजाब सरकार राज्यों के मसलों पर बात करने की इच्छुक है तो उसे सबसे पहले एसवाईएल को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करना चाहिए। साथ ही हिंदी भाषी क्षेत्रों समेत तमाम मसलों पर बात करनी चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार को भी नसीहत दी कि वह प्रदेश के हकों की पैरवी पुरजोर तरीके से करे।
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री से मिलकर एसवाईएल नहर निर्माण के मसले पर अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए और साथ ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर हरियाणा के हितों के लिए चंडीगढ़ और एसवाईएल पर एक प्रस्ताव पास करना चाहिए, ताकि चंडीगढ़ के मुद्दे पर शाह कमीशन की रिपोर्ट और एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट के हरियाणा के पक्ष के निर्णय को तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए।