कोरोना वायरस से हर कोई जूझ रहा है। महामारी न तो अमीर देख रही न गरीब, न हिन्दू देख रही न मुस्लिम, न बड़ा देख रही न छोटा , कोरोना सभी को अपनी चपेट में ले रहा है। कोरोना वायरस बहुत से लोगों को हो कर निकल चुका है, लक्षणों से पता नहीं चल पा रहा कि कोरोना है या फिर आम खांसी-जुकाम।
महामारी का पता लगाने के लिए फरीदाबाद के शोधकर्ताओं ने ऐसी चीज़ विकसित की है जिस से वायरस का पता लग सकेगा।
फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) के शोधकर्ताओं ने डीएनए एप्टामर्स का उपयोग करते हुए महामारी के लिए एक एप्टामर-लिंक्ड इमोबिलाइज्ड सोरबेंट आधारित की पहचान की है।
यह छोटे, एकल-स्ट्रैंड संरचित डीएनए के भाग होते हैं जो आत्मीयता और विशिष्टता के साथ एक विशिष्ट लक्ष्य को अपना निशाना बनाते हैं। इन मामलों में, एप्तामर वायरस की स्पाइक प्रोटीन को अपने चपेट लेती है, जो इंसान की जीवकोष पर पाए जाने वाले रिसेप्टर्स के संपर्क में महत्वपूर्ण कार्य करती है।
फरीदाबाद स्थित टीएचएसटीआई ने यह स्केल-अप करने के लिए गोवा स्थित मोल्बियो डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड को तकनिकी जांच के लिए हस्तांतरित कर दी है।
कोरोना वायरस की पहचान के लिए विकसित
कंपनी इसको बेचने के लिए और इसे लॉन्च करने से पहले आसीएमआर से मंजूरी लेगी। कंपनी ने पहले टीबी मरीज़ों के लिए ट्रूनाट नामक एक आणविक परीक्षण विकसित किया था और साथ ही साथ ड्रग रिफैम्पिसिन के लिए प्रतिरोध किया था।
टीएएसटीआई के डॉ। तरुण शर्मा ने बताया कि ” उन्होंने टीम का नेतृत्व किया था, जिसने टीएपीआई-आधारित परख को विकसित किया है।
250 नासोफेरींजल ट्रायल का उपयोग करके इसकी जांच की, और रिजल्ट में 90% संवेदनशीलता और 99% विशिष्टता आयी । इस कार्य में शामिल टीम के सदस्यों में अंकित गुप्ता, अंजलि आनंद, राजकुमार द्विवेदी, तृप्ति श्रीवास्तव और डॉ। गुरुप्रसाद शामिल हैं।
Written By – Om Sethi