अगर शहर की सफाई के लिए जिम्मेदार व्यक्ति आबोहवा खराब करने लगे तो आप क्या करेंगे? आप सोचिए, लेकिन अरावली बचाओ संगठन निगम आयुक्त के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी कर रहा है. दरअसल, उनका आरोप है कि बांधवाड़ी के कूड़ा निस्तारण संयंत्र में बने कचरे के पहाड़ अरावली में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आसपास के गांवों का भूजल दूषित हो रहा है। संस्था ने हाल ही में कचरे के पहाड़ के आसपास सर्वे किया और वीडियो बनाकर साक्ष्य भी जुटाए। उनका दावा है कि कचरे के पहाड़ से निकलने वाला लीचेट (जहरीला पानी) जंगलों में फैल रहा है। कई जगहों पर काले और गुलाबी रंग का जहरीला पानी जमा हो गया है। इस उपेक्षा के कारण लगभग 10,000 पेड़ सूख गए हैं।
इन गांवों पर ज्यादा असर
वर्तमान में ईकोग्रीन कंपनी फरीदाबाद गुड़गांव में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम कर रही है। बांधवाड़ी प्लांट में दोनों जिलों से रोजाना करीब 1600 टन कचरा पहुंचता है। नगर निगम के मुताबिक वर्तमान में करीब 35 लाख टन कचरे का ढेर है। इसमें से द्रव निकलकर पूरे पर्वत पर फैल जाता है। अरावली बचाओ संस्था के संस्थापक सदस्य जितेंद्र भड़ाना ने बताया कि शुक्रवार को उनकी टीम ने बांधवाड़ी कचरा पहाड़ के आसपास सर्वे किया था। जंगल के जानवर भी कचरे से निकलने वाले पानी को पी जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो रही है। गौरतलब है कि हाल ही में कूड़े के पहाड़ के पास एक तेंदुआ मृत पाया गया था। इसके अलावा कई गीदड़ों की भी मौत हुई है। जितेंद्र भड़ाना का दावा है कि इससे पाली, मोहब्ताबाद, गोठड़ा, धौज, बड़खल, मनगर गांवों का भी पानी दूषित होने लगा है. उन्होंने बताया कि उस मामले में एनजीटी में एक केस चल रहा था। अब इसे समाप्त कर दिया गया है। इसलिए सबसे पहले नगर निगम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात करेंगे। इसमें हम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह मामला दर्ज करने के लिए पत्र लिखेंगे। अगर फिर भी बात नहीं बनी तो मिथिल पर्यावरण से जुड़े कोर्ट में जाएंगे।
एक दूसरे से बचें
इस मामले में जब ईकोग्रीन कंपनी के सीईओ संजय शर्मा से बात की गई तो उन्होंने फरीदाबाद के एजीएम अनंत से बात करने की बात कही, उन्होंने कहा कि बांधवाड़ी प्लांट कुलदीप देख रहा है। उन्हें बुलाया। कुलदीप को कॉल किया गया तो उसने मैनेजर का नंबर दिया।