जानिये कौन हैं हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओपी धनखड़, इन कारणों से मोदी सरकार ने बनाया इन्हें नया अध्यक्ष

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    कोरोना काल में अर्थव्यवस्था तो ठप पड़ी है, लेकिन राजनीती ठप न पड़े इसके लिए ज़ोरो – शोरो से हर राजनितिक दल लगा हुआ है | भाजपा को ही ले लीजिये हरियाणा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से चल रही अटकलें और बैठकों का दौर अब खत्म हो हुआ है | भाजपा ने हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ को पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया है | वह सुभाष बराला की जगह लेंगे | चलिए जानते उनके राजनैतिक सफर के बारे में |

    भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए पूर्व मंत्री ओपी धनखड़ को पीएम नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ नजदीकियों का लाभ मिला है | प्रदेशाध्यक्ष बनने में वह छुपा रुस्तम साबित हुए, चूंकि उनके नाम की चर्चा ज्यादा नहीं थी |

    भले ही यह समय राजनीती करने का नहीं है, लेकिन भाजपा से लेकर कांग्रेस कोरोना से ज़्यादा राजनीती में सक्रीय दिखाई दे रही है कभी भूगोल के लेकचर्र के तौर पर अपने करियर की शुरूआत करने वाले ओपी धनखड़ आज बीजेपी के बड़े नेताओं में अपनी जगह बना चुके हैं |

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    ओपी धनखड़ मूलरूप से हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं | स्नातक के बाद उन्होंने भूगोल के लेकचरर के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की |

    लंबे समय तक भूगोल के लेकचरर रहे और इसके बाद साल 1978 में राष्ट्रीय स्यवं सेवक संघ से जुड़े। इसके दो साल बाद ही, साल 1980 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परीषद से जुड़ गए और साल 1996 तक वहां अपनी सेवाएं दी |

    मोदी सरकार बिना कुछ कहे बहुत कुछ बोल देने वाली है | प्रदेश भाजपा का मुखिया बनने में धनखड़ के लिए संगठन का लंबा अनुभव काम आया। 18 साल आरएसएस के लिए कार्य करना भी फायदेमंद रहा। जाट के बदले जाट पर भरोसा जताना भाजपा का कूटनीतिक कदम है।

    चूंकि, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला दोनों जाट हैं इसलिए भाजपा ने जाट प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को हटाकर गैर जाट की ताजपोशी का जोखिम नहीं उठाया |

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    कहावत है जो आज आप कर रहे हैं उसका फल मिलता ज़रूर है | धनखड़ को आरएसएस का साथ मिला | 1996 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली और यहीं से शुरू हुआ ओपी धनखड़ का राजनीतिक सफर, पार्टी ज्वाइन करने के बाद से ही धनखड़ हरियाणा की राजनीति में काफी सक्रिय रहे और इसी सक्रियता के चलते उन्हें 2011 से 2013 और 2013 से 2015 तक भारतीय किसान मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया |

    इसके बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में धनखड़ ने दीपेंद्र हुड्डा के खिलाफ रोहतक से चुनाव लड़ा, हालांकि इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल नहीं हुई और वो दूसरे स्थान पर रहे।

    किसी भी राजनैतिक पार्टी का भविष्य तभी उज्जवल है जब कार्यकर्ता खुद के लिए नहीं पार्टी के लिए काम करें, कुछ ऐसा ही किया है ओपी धनखड़ ने | धनखड़ मुखर हैं और आक्रामक तेवर भी अपना लेते हैं, जिसका भाजपा विपक्षी दलों के खिलाफ फायदा उठाएगी |

    बरौदा उपचुनाव सिर पर है, ऐसे में भाजपा जाटों में कोई गलत संदेश भी नहीं जाने देना चाहती थी|धनखड़ हरियाणा की पूर्व भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं | उन्होंने पशुपालन व कृषि संभाला।

    इसके अलावा धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के राष्ट्रीय समन्वयक की जिम्मेदारी निभाई। नरेंद्र मोदी के गुजरात में सीएम रहते ही धनखड़ खास बन गए थे |

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    कोई भी राजनेता यदि हौसला छोड़ दे तो विपक्ष दोगुना फायदा उठाता है, लेकिन धनखड़ ने कभी हौसला नहीं छोड़ा |

    2014 में हरियाणा विधानसभा के लिए हुए चुनाव में बादली विधानसभा सीट से उन्होंने जीत दर्ज की और इसी के साथ मनोहर कैबिनेट में जगह बनाई और 5 साल कृषि मंत्री का पदभार संभाला |

    साल 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में इन्होंने एक बार फिर बादली से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार वे कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप वत्स से हार गए। हालांकि उसके बाद भी पार्टी में उनका औदा बरकरार रहा और एक बार फिर उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर दे दी गई है |

    मुख्य बिंदु

    आरएसएस, किसान मोर्चा और विद्यार्थी परिषद से जुड़ा होने का मिला लाभ |
    बरोदा उपचुनाव और भविष्य की राजनीती के चलते जाट चेहरे की अनदेखी नहीं कर पाई मोदी सरकार |