जानिए कैसे कोरोना काल में हरियाली तीज के झूलो की रौनक हुई फीकी

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श्रावण मास की शुल्क पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है| इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई यानी गुरुवार को मनाई जाएगी| हरियाली तीज सुहागिन औरतों के लिए बेहद खास मानी जाती है| इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और सावन के झूले झूलती हैं| हरियाली तीज का व्रत सुहागिन औरतें पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं|

इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर भजन वह लोकगीत गाती हैं| इस व्रत के दौरान महिलाएं बिना भोजन और जल ग्रहण किए रहती हैं ,और दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत का समापन करती है|

जानिए कैसे कोरोना काल में हरियाली तीज के झूलो की रौनक हुई फीकी

हरियाली तीज शिव पार्वती की आराधना करके मनाया जाता है| इस दौरान विवाहित महिलाएं अपने ससुराल से मायके आती है| इस मौके पर उल्लास चरम सीमा पर होता है| सखी -सहेली संग हरे-भरे बागों में खेत खलियान में पेड़ों पर झूले डालती हैं, घेवर की सोंधी- सोंधी खुशबू से वातावरण मेहक उठता है| बच्चे पतंग उड़ाते हैं, घरों में पकवान बनाए जाते हैं| इन्हीं कारणों से प्रदेश सरकार तीज के दिन को सरकारी अवकाश घोषित किया जाता है|

लेकिन इस बार 23 जुलाई को पढ़ने वाली हरियाली तीज पर यह सब खुशनुमा माहौल नहीं दिखेगा| कोरोना ने हरियाली तीज के उल्लास पर भी जबरदस्त असर डाला है |बाजार में हलवाई घेवर बना तो रहे हैं, मिष्ठान भंडार पर घेवर बिकने के लिए भी सजा हुआ है ,पर इस बार उसे लेने वाले इतनी बड़ी संख्या में नहीं है|

जानिए कैसे कोरोना काल में हरियाली तीज के झूलो की रौनक हुई फीकी

कोरोना के डर की वजह से बेटियां अपने ससुराल से मायके पहले की तरह ज्यादा नहीं आएंगी, इस बार सिर्फ वही बेटियां आएंगी जिनकी शादी के बाद पहली तीज हैl हरियाणा के ग्रामीण अंचल में यह परंपरा है कि पहली तीज पर बेटियां मायके में ही मनाती हैं|

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इस बार कोरोना केस इन वैश्विक महामारी की गंभीरता को देखते हुए हरियाली तीज की धूम कम देखने को मिलेगी| इन सब कारणों की वजह से झूले बहुत कम पड़ेंगे ,समूह में लोकगीतों पर नाच गाना भी ज्यादा नहीं होगा| हालांकि ऐतिहासिक नगरी में महिलाओं ने अपने घरों की चारदीवारी के अंदर तीज पर्व की परंपरा का निर्वहन करने की तैयारी शुरू कर दी है| सेहत का ध्यान रखते हुए इस बार पकवान भी कम मात्रा में बनाए जाएंगे|