कोरोना काल में मधुर होते पारिवारिक संबन्ध, विषय पर भाग लेते सदस्य एवं श्रोतागण।

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कोरोनाकाल में घर के सदस्यों में आपसी संवाद बढ़ने से पारिवारिक संबंध मधुर हुए है, इतना ही नही लोगों के इस महामारी में पड़ोसियों से भी मतभेद कम हुए है और मेलजोल बढ़ा है।

ये विचार वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राकेश गर्ग ने आज फरीदाबाद पंचनद अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित गोष्ठी में प्रस्तोता के रूप में भाग लेते हुए व्यक्त किये जिसका विषय ‘कोरोनकाल में मधुर होते पारिवारिक संबंध’। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रबुद्ध समाज सेवी देवेंद्र भारद्वाज ने की।

कोरोना काल में मधुर होते पारिवारिक संबन्ध, विषय पर भाग लेते सदस्य एवं श्रोतागण।

राकेश गर्ग ने आगे कहा कि महामारी दौरान भारतीय परिवारों में दोवारा से बच्चों में बुजुर्गों के प्रति सम्मान बढ़ा है जो पहले बच्चों में कम ही देखने को मिलता था। उनका मानना था कि कोरोना काल में भारतीय हिन्दू परिवार दोवारा से भारतीय संस्कृति की तरफ लौटने लगे है। इस अवसर पर उद्योगपति जे.एम.गोयल ने कहा कि कोरोना काल मे हमारे दो भाइयों के परिवारों में एकता बड़ी है।

उनका कहना था कि कोरोना काल से पहले हम दोनों भाइयों के बच्चे विशेष समारोह पर ही एक साथ बैठते-उठते थे किन्तु अब दोनों परिवारों के सदस्य अक्शर एक-दूसरे बैठते-उठते और साथ भोजन करते है। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे देवेन्द्र भारद्वाज का अपना ही एक अनुभव रहा जिसको साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मेरी दो बेटी और एक बेटा प्रोफेशनल व्यस्ता के कारण शायद ही पिछले 5 सालों में एक साथ बैठकर विचार सांझा किए हो या शाम को एक साथ भोजन किया हो।

कोरोना काल में मधुर होते पारिवारिक संबन्ध, विषय पर भाग लेते सदस्य एवं श्रोतागण।

कोरोना जैसी महामारी के कारण यह संभव हो सका। वहीं मुकेश चोपड़ा का अनुभव भी अपने आप मे अनोखा रहा। चोपड़ा जी ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि पहले परिवार के बच्चों की शाम का भोजन अक्शर बड़े होटलो में होता था जो अब घर मे सब के सहभागिता से तैयार होता और खाया जाता है। जिससे न सिर्फ घर के लाखों रुपए बचे है बल्कि परिवार के सदस्यों में आपसी प्यार-सहयोग-सहभगिता बढ़ी है।

पंचनद के वयोवृद्ध कार्यकर्ता सुभाष रावल जी ने बताया कि कोरोना के कारण पारिवारिक रिस्ते तो मधुर हुए है ही साथ ही लोगो को शादी-विवाह में होने वाले मोटे खर्चो से भी काफी राहत मिली है। अब शादी-विवाह में 25-30 लोगों के आने से न सिर्फ काफी भोजन बर्वाद होने से बच रहा है बल्कि लोगो का काफी धन भी बच रहा है। श्री आशुतोष निगम ने कहा कि कोरोना के डर के कारण घरो में नोकरानी का प्रवेश बंद होने से रसोई घर मे शुद्धिकरण बढ़ा है

कोरोना काल में मधुर होते पारिवारिक संबन्ध, विषय पर भाग लेते सदस्य एवं श्रोतागण।

जिससे आने वाले समय मे स्वास्थ्य पर काफी अच्छा असर देखने को मिलेगा। गोष्ठी में शहर के वरिष्ठ समाजसेवी श्री विनोद गोयल ने कहा कि कोरोनाकाल में बाहर का वातावरण भी काफी शुद्ध हुआ है। लोग अब पैसे को कम अहमियत और इंसान को ज्यादा अहमियत देने लगे है। गोष्ठी में शहर के कई समाजसेवी उपस्थित रहे।

आभार :
डॉक्टर सुभाष गोयल