राखी ये सिर्फ त्योहार ही नहीं बल्कि भाई-बहन के अटूट प्यार का प्रतीक भी है, जिस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर स्नेह की डोर बांध कर रक्षा का वचन लेती हैं। इस दिन का हर बहन को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार होता है।
दो दिन बाद से सुअवसर आने वाला है, लेकिन उन बहनों को इस साल थोड़ी मायूसी होगी, जिनके भाई किसी न किसी मामले में जेल में कैद हैं।
ऐसे बंदियों की बहनें इस बार कोरोना की वजह से अपने हाथों से भाइयों की कलाई पर राखी बांधने से वंचित रहेंगी। हालांकि, जेल प्रशासन ने बंदियों तक उनकी बहनों के रक्षा सूत्र पहुंचाने का बंदोबस्त कर दिया है।
दरअसल कोविड-19 के चलते इस दौरान जिला कारागार में बंद बंदियों की मुलाकातें नहीं हो पा रही हैं। जेल प्रशासन ने बंदियों की मुलाकात पर रोक लगा रखी है। इस बीच रक्षाबंधन पर्व पर भी मुलाकातियों को यही मुश्किल उठानी पड़ रही है।
हर साल रक्षाबंधन पर्व के मौके पर जेल गेट पर कई दिन पहले से ही मुलाकातियों की भीड़ जुटती थी। कारागार में बंद लोगों की बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने आती थीं।
लेकिन इस रक्षाबंधन पर मुलाकात नहीं हो पाएगी। जिसके चलते जेल में बंद अपने भाइयों को बहनें कलाई पर राखी नहीं बांधी पाएंगी। हालांकि जेल प्रशासन ने इसका उपाय निकाल लिया है।
जेल प्रशासन ने फैसला किया है की मुलाकातें तो नहीं होंगी, लेकिन यदि कोई बहन जेल में बंद अपने भाई को राखी पहुंचाना चाहती है तो वह गेट पर पहुंचकर एक लिफाफे में रखकर अपने भाई को भेज सकती है।
फरीदाबाद की नीमका जेल 2100 के करीब बंदी हैं। रक्षाबंधन के त्योहार पर बंदियों की कलाई पर राखी बांधने के लिए दूर-दूर से बहनें जिला जेल पहुंचती हैं। जेल प्रशासन भी इसके लिए बहनों के लिए विशेष इंतजाम करता था। इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इस बार बहनें बंदी भाइयों के कलाई पर राखी नहीं बांध सकेंगी।
उन्हें जिला जेल के बाहर लगाए गए काउंटर पर राखी भेजने के निर्देश दिए गए थे। देर शाम तक करीब पांच राखियां काउंटर पर पहुंची थीं। जेल डिप्टी सुपरिंटेंडेंट रमेश कुमार ने बताया कि जेल काउंटर पर पहुंची राखियों को सेनीटाइज करने के बाद ही बंदियों को उपलब्ध कराई जाएंगी।