मरहूम राहत इंदौरी के वो 25 शेर, जिसे कभी नहीं भुला पाएगा कोई :- मोहब्बत और बगावत की शायरी से युवाओं के दिल को जीतने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी अब हमारे बीच नहीं रहे. मंगलवार की सुबह ही उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने की सूचना सामने आई थी.
दोपहर होते-होते उन्हें दिल का दौरा पड़ा और निधन हो गया. लॉकडाउन से पहले तक मरहूम राहत इंदौरी कई मुशायरों में शायरी करते रहे. उनकी कई पंक्तियां आज भी युवाओं के दिल को छू जाती हैं और इतिहास में दर्ज हो गई हैं.
मरहूम राहत इंदौरी ने अपनी शायरी और गजलों से कई सरकारों को चेताया है तो बॉलीवुड की कई फिल्मों में गाने भी लिखे हैं. आज जब राहत इंदौरी इस दुनिया में नहीं हैं, तो उन्हें याद करते हुए उनके कुछ वो शेर पढ़िए जो हमेशा चर्चा में रहे…
1. एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
2. बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए
3. वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
4. अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया
5. सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
6. अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
7. दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया
8. मैं जानता हूं दुश्मन भी कम नहीं,
लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है
9. ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएँगी
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं
10. शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
11. ये ज़िंदगी जो मुझे क़र्ज़-दार करती रही
कहीं अकेले में मिल जाए तो हिसाब करूँ
12. हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
13. जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो
मोहब्बत करने वाला जा रहा है
14. दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
15. मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना
16. आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
17. मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमां लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो
18. ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएँगी
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं
19. अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे
20. लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूं हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं
21. मैं ताज हूं तो ताज को सर पर सजाएँ लोग
मैं ख़ाक हूं तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए
22. अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को
वहाँ पे ढूँढ रहे हैं जहां नहीं हूँ मैं
23. बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए
हम ने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से
24. ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था
25. हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ’ नहीं देंगे
ज़मीन माँ है ज़मीं को दग़ा नहीं देंगे
मरहूम शायर राहत इंदौरी की मृत्यु के बाद उनके बेटे फैसल राहत ने बताया कि अरविंदो अस्पताल में भर्ती होने से कई दिन पहले से ही उनका इलाज चल रहा था। इलाज की शुरुआत फैमिली डॉक्टर ने की। फैमिली डॉक्टर की दवा से उन्हें आराम भी मिला, लेकिन नींद ज्यादा आने लगी।
फिर, उन्हें एक और अस्पताल में दिखाया गया। उनकी रिपोर्ट्स 3-4 बड़े डॉक्टर्स को दिखाई गईं और शहर के एक और बड़े अस्पताल से भी राय ली गई। सबने यही कहा कि राहत इंदौरी निमोनिया से पीड़ित हैं। फिर, कलेक्टर की सलाह से उन्हें अरविंदो अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी।