बड़खल झील को एक बार फिर से गुलज़ार करने की मुहीम शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। जल उपचार पद्धति के माध्यम से झील तक साफ़ पानी पहुंचाया जाएगा। इस विषय में संज्ञान लेने के लिए स्मार्ट सिटी में नियुक्त कार्यकारी अभियंता अरविंद और नगर निगम के मुख्य अभियंता टीएल शर्मा पिछले दिनो दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संसथान भी गए थे।
बड़खल झील में पानी भरे जाने का दारोमदार स्मार्ट सिटी लिमिटेड पर है। अधिकारी अब जल्द ही इस योजना की तैयारियों में जुटने वाले हैं। बाड़खल झील बहुत समय से सूखी पड़ी है ऐसे में यह कदम फरीदाबाद की धरोहर को बचाने के लिए अतिआवश्यक है।
बड़खल में साफ पानी के संचार के लिए होगा सेवेज ट्रीटमेंट प्लांट
झील में साफ पानी भरने के लिए सेक्टर 21ए में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य अगले साल तक शुरू हो जाएगा। एसटीपी में जल उपचार पद्धति का संयंत्र लगाया जाएगा जिसमे हर रोज़ 10 एमएलडी पानी साफ होगा। इस पानी को हर रोज पाइप के ज़रिये झील में उतारा जाएगा।
जल उपचार पद्धति से होगा फायदा
पेहले बाड़खल झील में तमाम झरनों से पानी आता था। रास्ते में पेड़-पौधों, पत्थरों और बजरी से होते हुए यह पानी बिकुल साफ़ हो जाता था। पूसा द्वारा जल उपचार नामक संयंत्र की तकनीक विकसित की गई है। इसमें पटेरा नाम की घास की मदद से दूषित पानी को पुनः इस्तेमाल करने योग्य बनाया जाएगा। जब यह घास हरी होती है तो उसमे मजूद ऑक्सीजन पानी के भारी भरकम तत्वों को छान देती है। सूखने के बाद घास का प्रयोग बोर्ड बनाने के लिए किया जाता है।
दूषित पानी को ऐसे तीन बड़े टैंको से गुज़ारा जाता है जिनमे नीचे छोटे छोटे कंकड़, पत्थर रखे होते हैं। पत्तियों से गैस का संचार तेज़ गति से होता है। काफी मात्रा में मिले ऑक्सीजन व जड़ों से छनने के बाद दूषित पानी में मौजूद हानिकारक तत्त्व नीचे जमा हो जाते हैं। पेटरा घास इन तत्वों को अपने पोषण के लिए इस्तेमाल करता है। इससे पानी धीरे धीरे साफ होने लगता है। तीनो टैंकों में यही प्रक्रिया होती है। ज्यादा मात्रा में पानी इकठ्ठा होने के बाद साफ पानी को पाइप के माध्यम से बड़खल झील में भेजा जाएगा।