पहले बिमारी फिर महंगाई की महामारी। देश के लिए चुनौतियां और देशवासियों की परेशानियां मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं। बढ़ती महंगाई के साथ रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में काम आने वाली चीज़ों के दाम तो बढे ही हैं पर सब्जियां तक मेहेंगी हो गयी है।
खरीफ का मौसम अब धीरे-धीरे समाप्त होने वाला है। इससे सब्जियों का उत्पादन भी काम होता जा रहा है। बीते कुछ महीनो से लगातार भारी बारिश से बाढ़ की स्थिति उत्त्पन्न हुई जिससे प्रभावित प्रदेशों में किसानो की फसलें नष्ट हो गयीं।
भारी नुक्सान उठाना पड़ा और फिर किसान भाइयों को सब्जियों का सही दाम भी नहीं मिला। इससे आवाक काम और मांग ज़्यादा होने की स्थिति पैदा हुई और सब्जियों के दाम बढ़ गए। हरी सब्जियों के भाव 15 से 20 फीसदी तक बढे हैं।
सब्जियां मेहेंगी होने से ग्रहणियां भी परेशान हैं। मेहेंगी सब्जियां खरीदें तो उनका रसोई का बजट बिगड़ रहा है। ऐसे में करें तो करें क्या और खाएं तो खाएं क्या।
दरअसल यह परेशानी और भी बड़ी इसलिए है क्यूंकि कोरोना के चलते जनता अभी मंडी जाने से जितना ज़्यादा हो, बचने की कोशिश कर रही है और इसके लिए गलियों में रेहड़ी वाले से ही सब्जियां खरीदना पसंद कर रही हैं। रेहड़ी वाले अपनी कमाई के चक्कर में मेहेंगी सब्जी बेच रहे हैं।
अभी रबी की सब्जियां जैसे गाजर, पालक, फूल गोभी आदि मंडियों में आणि शुरू नहीं हुई हैं। जबकि खरीफ की सब्जियां जैसे घीया, तौरी, भिंडी, करेला, खीरा धीरे धीरे काम होता जा रहा है। मौजूदा समय में असंतुलन पैदा हो गयी है। उम्मीद है कि मंडियों में रबी की सब्जियां आने से स्थिति सामान्य होगी।
Written By- MITASHA BANGA