दिव्यांग छात्रों के दाखले के लिए हरियाणा सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर निकाला था। इस हेल्पलाइन नंबर पर मिस्ड कॉल दे कर दिव्यांग छात्र आसानी से कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं। पर सरकार द्वारा जारी किए गए इस नंबर पर मिस्ड कॉल देने से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पा रही है।
कहा जा रहा था कि इस नंबर पर मिस्ड कॉल देने के बाद तुरंत प्रक्रिया मिल जाएगी। दाखिला विभाग द्वरा वापस से अभिभावक के पास कॉल किया जाएगा और उनसे जानकारी ली जाएगी। हरियाणा सरकार ने यह कदम छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया था।
महामारी के दौर में दिव्यांग छात्रों को मुश्किलों से दूर रखने के लिए सरकार ने इस मुहीम का गठन किया था। पर सरकार द्वारा जारी किए गए इस नंबर से छात्रों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है। कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में इस नंबर पर सभी दिव्यांग छात्र दाखिला लेने के लिए मिस्ड कॉल दे रहे हैं।
पर उन्हें इन मिस्ड कॉल के जवाब में कोई कॉल बैक नहीं आ रहा है। प्रशासन द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। इस तरीके के इंतजाम सरकार की नीतियों पर सवाल दाग रहे हैं। सरकार द्वारा निकाले गए नंबर से किसी भी अभिभावक को जवाब नहीं मिल पाया है।
कहा जा रहा था कि दिव्यांग छात्रों के लिए एक कमिटी का भी गठन किया जाएगा। इस कमिटी का हिस्सा कॉलेजों में मौजूद दिव्यांग छात्र ही होंगे। इस ग्रुप का गठन व्हाट्सएप पर किया जाना था। जिसमे कॉलेजों में मौजूद सभी दिव्यांग छात्रों को जोड़ कर उनके एडमिशन की जानकारी साझा की जाती। इस कमिटी के निर्माण के बाद छात्रों को ही ग्रुप का प्रबंधक बनाया जाता।
सरकार द्वारा सभी कॉलेजों के प्रधानचार्यों से बात की गई थी और उनसे दिव्यांग छात्रों की सूची मांगी गई थी। इस विषय में फरीदाबाद स्थित नेहरू कॉलेज के प्रधानाचार्य ओपी रावत से बात की गई। उन्होंने बताया कि अभी व्यस्तता के चलते दिव्यांग छात्रों की सूची नहीं भेजी गई है। वह फिलहाल सरकार द्वारा दिशा निर्देशों के जारी होने का इंतज़ार कर रहे हैं।
कहीं सरकार की मुहीम निकल न जाए जुमला
सरकार द्वारा जारी किए गए नंबर से किसी भी अभिभावक की मदद नहीं हो पाई है। जो नंबर राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया है वह 7419444449 है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से यह नंबर जनता के साथ साझा किया था। पर जब छात्र दाखिले से जुड़ी जानकारी पाने के लिए इस नंबर का उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पा रही है। ऐसे में सरकार द्वारा पारित की गई यह मुहीम जुमला प्रतीत होती नज़र आ रही है।