प्रदेश में मनरेगा की योजनाओं को लागू करने में सुस्ती बरतने वाले अधिकारी आज हुई बैठक में डिप्टी सीएम के निशाने पर रहे। उन्होंने संबंधित मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ)से सिलसिलेवार ढंग से एक-एक जिले की मनरेगा के कार्यों की रिपोर्ट ली। मनरेगा के टारगेट पूरे न करने वाले अधिकारियों से डिप्टी सीएम ने इसके लिए न केवल जवाब-तलबी की, साथ ही इस पर गंभीरता से काम करने के निर्देश दिए।
आज चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सचिवालय में वीडियो कॉफ्रेसिंग के माध्यम से हुई बैठक में डिप्टी सीएम ने सभी सीईओ को मनरेगा में दिए अपने बकाया कार्यों की अप्रूवल लेकर मुख्यालय को 10 दिन में रिपोर्ट करने और अगले दो माह में दिए गए टारगेट को पूरा करने के निर्देश दिए। इतना ही नहीं उन्होंने मनरेगा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों की पीठ भी थपथपाई और दूसरे जिलों को इनका अनुसरण करने को कहा। बैठक में विभिन्न आठ विभागों के आला अधिकारियों सहित संबंधित जिलों के सीईओ ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से भाग लिया।
डिप्टी सीएम ने कहा कि मनरेगा में अच्छा काम हो रहा है और रिकार्ड लोगों को रोजगार मिला है परन्तु कुछ जिलों में प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि मनरेगा ने प्रदेश भर में पिछले वर्ष के मुकाबले में इस वर्ष प्रथम छहमाही में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया परन्तु अभी मनरेगा के तहत प्रदेश में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के लोगों को मनरेगा के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार देना प्राथमिकता रहा है।
वीरवार को हुई बैठक में दुष्यंत चौटाला ने मनरेगा के तहत फिसड्डी रहने वाले जिलों का ब्यौरा संबंधित सीईओ से पूछा। बैठक में बताया गया कि मनरेगा में सबसे कम कुरूक्षेत्र में 64 प्रतिशत काम हुआ है और 25 गांवों में कोई काम शुरू नहीं हुआ। इसके बाद जींद में 71 प्रतिशत काम हुआ और 44 पंचायतें ऐसी है जहां कार्यों की शुरूआत होनी बाकी है। यमुनानगर में 71.8 प्रतिशत काम हुआ और 68 गांवों में काम होना बाकी है। दादरी और पंचकुला जिले भी इन्हीं श्रेणी में है, जहां क्रमश: 72 प्रतिशत, 73 प्रतिशत काम हुआ है।
मनरेगा के तहत बीते समय में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों में रोहतक, मेवात व फेतहाबाद है। रोहतक में 80 प्रतिशत टारगेट अचिव हुआ और सभी गांवों में मनरेगा चल रहा है। मेवात जिले में लक्ष्य के मुकाबले अधिक 122 प्रतिशत काम हुआ और इसी प्रकार फतेहाबाद में लक्ष्य से अधिक 109 प्रतिशत काम हुआ है और केवल जिले में दो ही ऐसे गांव है जहां मनरेगा का काम शुरू होना बाकी है।
डिप्टी सीएम ने संबंधित अधिकारियों को आदेश दिए कि प्रदेश में एक भी गांव ऐसा नहीं बचना चाहिए जहां मनरेगा की स्कीम के तहत काम न हों। लॉकडाउन में प्रदेश के जरूरतमंद हर व्यक्ति के हाथ में मनरेगा के तहत काम मिलना चाहिए चाहे इसके लिए संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों से अनुमति लेकर इनका दायरा क्यों न बढ़ाना पड़े।
काम न दे पाएं तो घर बैठे लोगों को दें मानदेय
डिप्टी सीएम ने बैठक में मनरेगा के तहत किए गए एक प्रावधान का हवाला देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि कोई कार्ड होल्डर व्यक्ति मनरेगा के तहत उनसे काम मांगता है और अधिकारी उसे तय समय सीमा में काम उपलब्ध करवाने में असमर्थ हैं तो, घर बैठे संबंधित व्यक्ति को तय नियमों के अनुसार मानदेय का भुगतान करवाएं।
छह माह में एक वर्ष के बराबर हुआ मनरेगा में काम
उपमुख्यमंत्री को बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में करीब 6 लाख मनरेगा के जॉब-कार्ड बने हुए हैं। इस बार 30 सितंबर 2020 तक 4.80 लाख जॉब-कार्डधारकों को मनरेगा स्कीम के तहत रोजगार दिया गया जबकि पिछले वर्ष 31 मार्च 2020 तक मात्र 3.64 लाख लोगों को ही काम मिला था। पहली बार 4 लाख से ज्यादा लोगों को काम दिया गया है और वह भी मात्र 6 महीने में।
डिप्टी सीएम को यह भी जानकारी दी गई कि मनरेगा के तहत इस वर्ष 1200 करोड़ रूपए के कार्य करवाए जाने का लक्ष्य रखा है, अभी तक केवल 6 माह में 300 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं जबकि पिछली बार पूरे वर्ष में 387 करोड़ रूपए खर्च किए गए थे। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से मिलकर अपने-अपने क्षेत्र में नर्सरी व पौधारोपण जैसे कार्यों पर फोकस करने के भी निर्देश दिए।