प्रशासन की लापरवाही से तो सब बखूबी से ही रूबरू होंगे। आये दिन प्रशासन की लापरवाही देखने को मिलती ही रहती है। एक तरफ सरकार कहती है हमे अपने देश से गरीबी को हटाना है वही दूसरी और देश की गरीब जनता नालो के पानी से नहाने के लिए मजबूर है। पुरे देश की वेवस्था उनकी परिस्थिति को सवारने की जिम्मेदारी देश की सरकार पर होती है, लेकिन सवाल तब उठता है जब साकार देख क्र भी देश की स्तिथि को अनदेखा कर देती है ,ऐसे में आम गरीब जनता अपनी परेशानी लेकर कहा जाये ,जब उनकी समस्या सुनने वाली सरकार ही अंधी बेहरी हो रखी है।
देश की गरीबी मिटाने की जिम्मेदारी होती है प्रशासन की, लेकिन प्रशासन का पूरा ध्यान इस वक्त अपनी जेब भरने में है। तो ऐसे में देश की गरीबी कैसे मिटेगी। किस तरीके से देश की गरीब जनता अपना गुजरा क्र रही है, क्या उसको एक वक्त की रोटी तक नसीब हो रही है की नहीं ,अगर प्रशासन इन सब चीजों पर ध्यान देगी तो सायद हमारे देश की आधी गरीबी से हमे रहत मिल जाये।
फरीदाबाद में ऐसी कई बसी हुई गरीब बस्तियाँ है जो सड़क किनारे बसी हुई है। जिनके पास खाने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं है ,पहने के लिए कपडे नहीं है ,नहाने और कपडे धोने एवं पीने के लिए पानी नहीं है। यह लोग नहाने के लिए भी गांधी नाले या सालो से घडो में भरे हुए पानी का प्रयोग करते है। इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है की हमारे देश की जनता किस हाल में जीने के लिया मजबूर है।
ऐसा ही मंजर हमे नीलम अजरौंदा चोक पर देखने को मिला जहा देश की गरीब जनता मजबूर है सड़क के बीचो बीच भरे हुए पानी में नहाने और अपने कपडे धोने के लिए । कितने लोगो की यहाँ से आवाजाही होती है और सायद प्रशासन भी इस रस्ते से कई बार गुजरी होगी और इस समस्या की ओर बहुतो का ध्यान केंद्रित हुआ होगा परन्तु सबने इससे अनदेखा क्र दिया और लोगो को उनके इसी हाल पर जीने के लिए छोड़ दिया।अब साल यह उठता है की कब तक देश की जनता यु ही गरीबी में जीती रहेगी और प्रशासन कब तक इससे नजरअंदाज करती रहेगी।