सरकार की लारवाही जनता के लिए परेशानी का कारण बन रही है। दो कदम की दुरी पर ही हमे सरकार की लापरवाही बखूबी से देखने को मिल जाती है। रोज किसी ना किसी एरिया से सरकार की लापरवाही की शिकायत आती ही रहती है। कभी कोई पानी को लेकर हड़ताल करता है तो कभी कोई बिजली को लेकर। काफी संघर्षो के बाद जब सरकार के कानो तक आवाज पहुँचती है तब सरकार थोड़े दिनों के लिए लोगो को उनकी समस्या से रहत देती है परन्तु फिर से स्थिति व्ही की व्ही हो जाती है।
ऐसी ही समस्या हमे यामाहा कंपनी के मोड़ पर देखने को मिली ।मोड़ पर 11 हजार वोल्टेज हाइटेंशन लाइन का टावर तीन साल से लोगों के लिए मुसीबत बन रहा है। टावर को हटाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारी बिजली विभाग अधिकारियों से कई बार कह चुके हैं, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में दो विभागों के बीच खींचतान होने का खामियाजा हर रोज लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सड़क के बीच में लगे होने से सुबह-शाम लंबा जाम लग रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग-19 को इस समय छह लेन बनाने का काम जारी है। दो साल पहले वाईएमसीए चौक अंडरपास की एक सर्विस रोड का केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने उद्घाटन किया था। इसके बाद सड़क के एक हिस्से को लोगों के लिए शुरू कर दिया गया। बल्लभगढ़ से दिल्ली की ओर से जाने वाली रोड पर यह बिजली का टावर, 11 हजार वोल्टेज की हाइटेंशन लोड के साथ खड़ा है। बिजली अधिकारियों ने एनएचएआई की शिकायत पर 10 दिन में ही टावर को हटाने की बात कही थी, मगर दो साल बीत गए और हुआ कुछ नहीं। इस सर्विस रोड पर सबसे ज्यादा नौकरी-पेशा लोगों की आवाजाही होती है। टावर के कारण जाम लगता है। कई बार जाम खुलवाने के लिए यातायात पुलिस का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, आए दिन दुर्घटनाएं होती है। इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अगर इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो इसका भुगतान आम जनता को भुगतना पड़ सकता है। नौबत जान गवाने तक भी आ सकती है।11 हजार वोल्टेज हाइटेंशन लाइन का टावर काफी खतरनाक हो सकता है आम जनता की जान के लिए। बारिश के दिनों ये टावर और भी खतरनाक हो सकता है। लोगो की मौत का कारण भी बन सकता है यह टावर। अगर सरकार इस समस्या को लेकर जल्द से जल्द जागरूक नहीं हुई तो कोई यह समस्या एक बहुत ही भयाभय रूप ले सकती है।