महिला सशक्तिकरण और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक नेक मुहिम शुरू की है। हरियाणा की छोरियां यहां के छोरों से कम नहीं है और इस बात का जीता जागता उदाहरण हरियाणा की लाखों लड़कियां खुद हैं।
पहले की रूढ़ीवादी मानसिकता वाले लोग जो बेटियों को बोझ समझा करते थे, आज इस बात से नकार नहीं सकते कि हरियाणा राज्य का नाम बेटियों ने ही सबसे ज्यादा रोशन किया है। फिर चाहे वह रेसलर बबीता और गीता फोगाट हों या फिर चाहे वह मिस वर्ल्ड बनी हरियाणा की मानुषी चिल्लर हो।
बेटियों को समाज में उज्जवल भविष्य और सम्मानित जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है हरियाणा सरकार द्वारा चलाई गई यह नई मुहिम। इस मुहिम के तहत परिवार में जन्मी तीसरी बेटी के नाम से घर के बाहर नेम प्लेट लगाई जाएगी। ताकि उस बेटी को कहीं भी किसी भी प्रकार से यह महसूस न करवाया जाए कि वो परिवार का हिस्सा नहीं है।
फिलहाल विभाग ने मात नेहल खंड में 41 परिवार चिन्हित किए हैं जिनमें तीन बेटियां हैं। बताया जा कि जल्द ही इन सभी परिवारों में घरों के बाहर नेम प्लेट पर सबसे छोटी यानी तीसरी बेटी का नाम भी लिख आया जाएगा।
सरकार का यह कदम सराहनीय है पर हाल ही में, बल्लभगढ़ में हुई घटना के बाद राज्य में बेटियों की सुरक्षा पर सरकार के बंदोबस्त कितने कड़े हैं, इस बात पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
ऐसे में महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग का कहना है की बेटियों को एक सुखी, सुरक्षित और सम्मानित जीवन दिलाने के लिए सरकार को ठोस और कारगर कदम जल्द उठाने चाहिए। तभी देश की बेटियों को समाज में सम्मान और उनका असली अधिकार मिल पाएगा।