करोना महामारी के मामले पूरे दिल्ली एनसीआर में एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। बढ़ते मामलों की तेज रफ्तार ने सरकार की चिंता भी बढ़ा दी है। संक्रमण के खतरे को नियंत्रण में करने के लिए सरकार ने दिल्ली के साथ लगे बॉर्डर क्षेत्र में रेंडम जांच शिविर लगाना शुरू कर दिया है। रविवार को जांच का तीसरा दिन था। पहले दिन के मुकाबले दूसरे और तीसरे दिन जांच कराने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है।
बता दें कि जांच में रेंडम सैंपल की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ शख्स करोना संक्रमित भी पाए गए हैं। पुलिस प्रशासन ने लोगों को जांच के लिए जागरूक करते हुए रेंडम सेंपलिंग जांच की आवश्यकता के बारे में समझाया। परिणाम स्वरूप कुछ लोग अपनी इच्छा से जांच करवाने आए पर जो लोग बिन मास्क के थे उन्हें चालान का डर दिखाकर संक्रमण की जांच करवाने पर मजबूर किया गया।
दिन से ही बीके अस्पताल की एंबुलेंस बदरपुर बॉर्डर पर तैनात हो जाती है। आज लगभग 3 दिन हो गए हैं कि पुलिसकर्मियों के साथ कोरोना सैनिक कोविड वॉरियर्स भी अपनी ड्यूटी को पूरी शिद्दत के साथ निभा रहे हैं बीके अस्पताल की टीम से मीनाक्षी और लैब टेक्नीशियन तीरथ कुमार ने लोगों की जांच की। पहले दिन 62 लोगों की जांच की गई जिसमें से 2 लोग करो ना संक्रमित पाए गए। लोगों की जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पुलिस के सहयोग से बेहतरीन रूप से काम कर रही है।
सूत्रों के हवाले से यह खबर है कि ज्यादातर लोग अपनी इच्छा से जांच करवाना नहीं चाहते क्योंकि लोगों का ऐसा मानना है कि रेंडम सेंपलिंग में अधिकतर पॉजिटिव रिपोर्ट ही आ रही है। ऐसे में सरकार द्वारा चलाई गई संक्रमण के खतरे को रोकने की इस प्रक्रिया से लाभ कम और हानि ज्यादा हो रही है।
कई कार्यालयों में और सफर के दौरान भी करो ना कि जांच रिपोर्ट मांगी जा रही है। मौखिक रिपोर्ट से दूसरा व्यक्ति संतुष्ट नहीं होता इसीलिए डॉक्युमेंटेड रिपोर्ट को ही मान्यता दी जा रही है। ऐसे में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट कामकाजी लोगों के लिए एक परेशानी का सबब बन गई है